यूएस इमीग्रेशन एंड कस्टम एन्फोर्समेंट ने आठ भार्र्तियों और भारतीय अमेरिकी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, उन पर गई कानूनी तरीके से छात्र बनाकर प्रवासियों को अमेरिका में रखने का आरोप है। 20 से 30 वर्ष के कथित आरोपियों में बर्थ ककिरेड्डी, सुरेश कांडला, फनिदीप कर्नाती, प्रेम राम्पीसा, संतोष समां, अविनाश थक्कालापल्ली, अश्वंथ नुने और नविन प्रतिपाठी थे। हालांकि सम्बंधित विभाग ने इनकी राष्ट्रीयता उजागर नहीं की है।
आरोपियों में से छह की गिरफ्तारी भीडभाड़ वाले इलाके और दो की फ्लोरिडा और विर्जिनिया में हुई थी। विशेष एजेंट चार्ज फ्रांसिस ने कहा कि “सैकड़ों अन्य राष्ट्रों के अप्रवासी छत्र बनकर अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे, इनमे से अधिकतर छात्र नहीं थे। होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टीगेशन ने व्यापक राष्ट्र में अमेरिकी अप्रवासी कानून का उल्लंघन करने वालों का खुलासा किया है।”
जांच के मुताबिक फ़रवरी 2017 जनवरी 2019 तक, विदेशी नागरिकों का एक समूह सैकड़ों विदेशी आप्रवासियों को फर्जीवाड़ा कर अवैध तरीके रखते हैं और वे अमेरिका में कार्यरत होते है। उन्हें फार्मिंगटन यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाया जाता है।
साजिशकर्ताओं को इस बात का अंदेशा नहीं था कि होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टीगेशन के विशेष एजेंट अंडरकवर ऑपरेशन के तहत फार्मिंगटन यूनिवर्सिटी का संचालन कर रहे थे। आठ आरोपी ‘पे टू स्टे’स्कीम के तहत अवैध अप्रवासी छात्रों को नकद, किकबैक और ट्यूशन क्रेडिट के तहत यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाते थे।
अमेरिकी अटॉर्नी मैथ्यू स्च्निदर ने कहा कि “हम सभी को मालूम है कि विदेश छात्र मुल्क के लिए संपत्ति है, लेकिन इस केस से मालूम होता है कि इंटरनेशनल वीजा प्रोग्राम का भी उल्लंघन और अनादर किया जा रहा है। अभियोग के मुताबिक इस यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल विदेशी छात्र ‘पे टू स्टे’ स्कीम की तहत करते है, जो सभी अमेरिका में एक मान्य शिक्षा कार्यक्रम के अंतगर्त रहने की अनुमति प्रदान करता है।
इस धोखादड़ी के आलावा विदेशी छात्र फर्जी तरीके से अपना वीजा स्टेटस बरकरार रखते हैं और और सीपीटी कार्यक्रम के तहत कार्य करने की अनुमति ले लेते हैं। उन्होंने दावा किया कि सभी छात्रों को मालूम है कि यह प्रोग्राम डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी से मान्यता प्राप्त नहीं है। साल 2016 में आईसीई ने 21 लोगों को ऐसे ही फर्जी यूनिवर्सिटी के अपराध में गिरफ्तार किया था।