इजराइल (Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (benjamin netanyahu) ने रविवार को कहा कि “वह फिलिस्तीन के साथ देश के लम्बे समय के विवाद का समाधान करने के लिए अमेरिकी की शान्ति योजना पर विचार करने के लिए तैयार है। हम अमेरिका के प्रस्ताव पर निष्पक्ष और खुले तौर पर विचार करेंगे।”
बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की मेहमाननवाज़ी कर रहे थे। फिलिस्तीन के नेतृत्व ने पहले ही इस योजना को खारिज कर दिया है। उनके मुताबिक अमेरिका की योजना पक्षपाती है। अमेरिका ने इजराइल की राजधानी के तौर पर येरुशलम को मान्यता दे दी थी और अपने दूतावास को तेलअवीव से येरुशलम स्थातान्त्रित करने का ऐलान किया था।
नेतन्याहू ने कहा कि “मुझे समझ नहीं आता कि कैसे फिलिस्तीन प्रस्ताव के बारे में जाने बगैर इसको खारिज कर सकता है। इस तरीके से हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। वह इजराइल अधिग्रहण क्षेत्र जॉर्डन घाटी की यात्रा दौरे के दौरान बातचीत कर रहे थे। उन्होंने शान्ति समझौते को कभी न त्यागने का संकल्प लिया है।
उन्होंने कहा कि “जो कहते हैं कि शान्ति के लिए इजराइल का जॉर्डन घाटी को छोड़ना जरुरी है तो मैं कहता हूँ कि यह शान्ति नहीं लेकर आएगा बल्कि जंग और आतंकवाद लेकर आएगा। इजराइल की सुरक्षा के लिए यह इजराइल की मौजूदगी जारी रहेगी और सुरक्षा ही सब कुछ है।”
व्हाइट हाउस के मुताबिक, क्षेत्रीय सुरक्षा पर बातचीत के लिए इजराइल के नेता ने जॉन बोल्टन की मेज़बानी की थी। उनकी यात्रा अमेरिका और ईरान के बीच गंभी तनावग्रस्त हालातो के बीच हुई है। हाल ही में अमेरिकी ड्रोन और टैंकर हमले के वाद हालात गंभीर हुए हैं।
व्हाइट हाउस ने अगले सप्ताह पहली बार शान्ति समझौते की जानकारी का खुलासा करने की ठान ली है और इस शान्ति समझौते के रचियता डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद जारेड कुशनर है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “इसका मकसद अगले एक दशक में फिलिस्तीनियों के लिए 50 अरब डॉलर से अधिक बढ़ाने और 10 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन करना है।”
फिलिस्तीन विभाग बहरीन में आयोजित कथित “समृद्धता से शान्ति” वर्कशॉप का बहिष्कार कर रही है। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने रविवार को कहा कि “उन्हें विश्वास है कि बहरीन की कांफ्रेंस नाकाम होगी। हमें आर्थिक सहायता यानी धन और सहयोग की जरुरत है लेकिन सबसे पहले इसका एक राजनीतिक हल निकलने की जरुरत है।”
उन्होंने कहा कि “अमेरिका इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक मामले से आर्थिक में परिवर्तिन करना चाहता है, हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।”