अमेरिका के रूस और ईरान पर प्रतिबन्ध के बावजूद भारत ने रूस के साथ एस-400 रक्षा प्रणाली का सौदा किया और ईरान से तेल आयत करना जारी रखा।
भारत के इस रुख से अमरीका ने भले ही भारत पर प्रतिबन्ध न लगाए हो लेकिन खफा जरूर है।
पूर्व कूटनीतिक ने भारत सरकार को हिदायत दी कि अमेरिका के खिलाफ़ सार्वजानिक तौर पर आक्रामक रुख न दिखाए। अमेरिका के ईरान पर लगाए प्रतिबंधों का मखौल न उड़ाए। इससे भारत अमेरिका संबंध कमजोर हो सकते हैं।
सऊदी अरब और यूएई में तैनात पूर्व राजदूत ने कहा कि भारत को इस नाटक (प्रतिबंधों का सिलसिला) में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी हैं। सरकार की प्राथमिकताऐं राष्ट्रहित में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा राष्ट्रों के मध्य संबधों का यह बेहद नाजुक मोड़ है। भारत का राष्ट्रहित ईरान से तालमेल बैठाना है लेकिन अमेरिका को खफा कर भारत अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पायेगा।
भारत को किस रणनीति के तहत कार्य करना चाहिए इस बाबत पूर्व राजदूत ने बताया कि भारत को अपनी योजना में परिवर्तन करते हुए कुछ समय के लिए ईरान से तेल आयात करने में कटौती करनी चाहिए और इस दौरान अमेरिका के साथ उनकी नीति में रियायत बरतने के लिए बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके मुताबिक छह माह तक अमेरिकी प्रतिबन्ध हटा दिए जायेंगे।
पूर्व राजदूत ने कहा मेरे ख्याल से भारत को मुखर होकर अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ आक्रामक रुक अख्तियार नहीं करना चाहिए और राष्ट्रहितों के लिए हालातों पर नज़र बनाये रखनी चाहिए। नई दिल्ली को सही वक्त का इंतज़ार करना चाहिए जब अमेरिका अपनी प्रतिबंधों की नीति से यू टर्न लेगा या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस रणनीति का तख्तापलट कर देगा।
उन्होंने कहा सरकार को सार्वजानिक आलोचक न होकर पर्दे के पीछे के कार्य संपन्न करने होंगे ताकि देश की हितों को महफ़ूज़ किया जा सके। उन्होंने कहा भारत को कुछ समय के लिए ईरानी तेल के आयत में कटौती करनी चाहिए।