अमेरिकी-तालिबान शांति वार्ता में पाकिस्तान के अहम किरदार से अफगानिस्तान में बीते सालों की जंग समाप्त होगी। पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अमेरिका के साथ पाक के रिश्ते बदलने वाले हैं क्योंकि इस्लामाबाद अफगान शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मीडिया से मुखातिब होकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि “दोहा में पाकिस्तानी मदद से आयोजित अमेरिकी-तालिबान शान्ति वार्ता से सकारात्मक परिमाण आने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा कि “एफएटीएफ ने पाकिस्तान को, आतंकवाद और आतंकी समूहों को वित्तपोषित करने के खिलाफ कार्रवाई न करने के कारण ग्रे सूची में शामिल कर रखा है और इस कारण अमेरिका के साथ इस्लामाबाद के सम्बन्ध कुछ खास नहीं रहे थे।”
डॉन अखबार ने कुरैशी के हवाले से कहा कि “हमारी सफल विदेश पॉलिसी के कारण दोनों देशों के मध्य रिश्तों में सुधार आ रहा है। अमेरिका के साथ हमारे संबंधों में यू टर्न आने वाला है। दोहा में अमेरिका और तालिबान की शान्ति वार्ता जारी है और इससे सकारात्मक नतीजे निकलने की सम्भावना है।”
भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालातों पर पाक विदेश मंत्री ने कहा कि “हम क्षेत्र में शान्ति चाहते हैं लेकिन कश्मीर मसले पर समझौता नहीं कर सकते हैं। तनाव को कम करने में रूस ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है। रूस ने ऐलान किया कि वह क्षेत्रीय शान्ति को बरक़रार रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तत्पर है।”
उन्होंने कहा कि “सऊदी अरब ग्वादर में एक विशाल आयल रिफाइनरी स्थापित करेगा जिसकी लागत 10 अरब डॉलर होगी जबकि वह 9.6 अरब डॉलर का तेल निर्यात कर रहा है।”
एफएटीएफ से ब्लैकलिस्ट होने का मतलब, देश विश्व के साथ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से लड़ने के लिए गंभीर नहीं हैं। इस्लामाबाद पर भी काफी कर्ज का भार है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इसके लिए कई देशों का भ्रमण कर चुके हैं। वह आईएमएफ से बैलआउट पैकेज के लिए भी बातचीत कर रहे हैं।
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स एक सरकारी संस्था है जो आतंकियों के वित्तपोषण और अन्य मामलों पर कार्रवाई करती है। इसका गठन साल 1989 में हुआ था।