पाकिस्तान में फर्जी मुठभेड़ के लिए कुख्यात एक पूर्व पुलिस अफसर को अमेरिका ने काली सूची में डाल दिया है। यह पूर्व पुलिस अफसर कराची के मालिर का पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राव अनवर खान है जिस पर 2011 से 2018 के बीच के कार्यकाल में 444 लोगों को फर्जी मुठभेड़ों में जान से मारने का आरोप लगा था।
अमेरिका के वित्त विभाग ने बयान जारी कर अनवर को काली सूची में डालने की जानकारी दी है। बयान में कहा गया है कि राव अनवर 190 से अधिक ‘मुठभेड़ों’ में शामिल रहा जिनमें 400 से अधिक लोग मारे गए थे। इन लोगों में पश्तून समाज से ताल्लुक रखने वाले नकीबुल्ला महसूद भी शामिल थे।
नकीबुल्ला को अनवर ने आतंकवादी बताते हुए दो अन्य लोगों के साथ फर्जी मुठभेड़ में मार डाला था। उसने इन लोगों को आतंकवादी बताया था। पश्तून संगठनों व अन्य मानवाधिकार संस्थाओं के विरोध के बाद मामले की जांच हुई थी जिसमें नकीबुल्ला को निर्दोष पाया गया था। इसके बाद अनवर को निलंबित किया गया था। वह कुछ दिन जेल में भी रहा था जहां से उसे जमानत मिल गई थी। बाद में उसने सेवानिवृत्ति ले ली थी।
अमेरिकी बयान में कहा गया कि इसी के साथ अनवर ने अपने पुलिस अफसर रहने के दौरान आपराधिक लोगों के साथ मिलकर अवैध रूप से लोगों से धन की वसूली की और जमीनों पर अवैध कब्जे भी किए। उस पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मानवाधिकारों के गंभीर हनन के कारण प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।
अमेरिका ने मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) के अवसर पर अनवर समेत कुल 18 लोगों को काली सूची में डालते हुए उन पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका में इनकी संपत्ति को जब्त कर लिया गया है और किसी भी अमेरिकी को इनके साथ कोई भी व्यावसायिक काम करने से रोक दिया गया है। इनमें से दो पर अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध भी लगाया गया है जिनमें तुर्की में सऊदी अरब के पूर्व महावाणिज्य दूत मुहम्मज अल्अतुबी भी शामिल हैं। उन पर पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में शामिल होने का आरोप है।