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    चीनी उपप्रमुख, जो बाद मे चीन को आर्थिक प्रगति पर लेकर गए

    एक समय पाकिस्तान को अपनी अवैध गतिविधियों को पूरा करने में अमेरिका और चीन सहायता करता था। अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान की पामाणु आर्सेनल खरीदने में मदद की थी। यह खुलासा अधिकारिक दस्तावेजों में हुआ है।

    “पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के कारण हमारी मदद कर सकने की क्षमता थी।” यह शब्द अमेरिकी रक्षा सचिव हेरोल्ड ब्राउन ने चीनी उप प्रमुख डेंग क्सिओपिंग को जनवरी 1980 में एक बैठक के दौरान कही थी। उस दैरान ये दोनों नेता सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर हमले का प्रतिकार की रणनीति तैयार कर रहे थे।

    अमेरिकी अधिकारीयों की रिपोर्ट के मुताबिक “हम अभी भी पाकिस्तान का विरोध करते हैं, पाकिस्तान को ताकतवर सोवियत संघ के खिलाफ मज़बूत कर रहे हैं। डेंग जो बाद मे, चीनी सरकार के प्रमुख बने और देश को आर्थिक समृद्धि के मार्ग पर ले गए थे और चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

    डेंग ने कहा था कि “यह बेहद अच्छा दृष्टीकोण है, “परमाणु कार्यक्रम के पाकिस्तान के अपने मंसूबे हैं। “हम पाकिस्तान के परमाणु हथियार के निर्माण की आलोचना करते हैं क्योंकि हम ऐसे बेमतलब के कार्यक्रम में पैसे निवेश करने से इत्तफाक नहीं रखते हैं।”

    पाकिस्तान की अपनी बहस में बताया था कि “भारत ने एक परमाणु हथियार का विस्फोट किया था लेकिन विश्व में किसी ने भी उसकी शिकायत नहीं की थी।”

    अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने साल 1998 में रिपोर्ट जारी की थी कि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिकों को अमेरिका ने साल 1950 और 1970 में प्रशिक्षित किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने सीआईए के जरिए अफगानिस्तान के लडाकों के पास खरबों रूपए के हथियारों की तस्करी की थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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