तालिबान ने कहा कि “वह अमेरिका के साथ एक समझौते पर पंहुचने के लिए आशावादी है।” दोनों पक्षों के बीच महत्वपूर्ण बातचीत का दौर जारी है। इस सप्ताह के आखिरी में क़तर की राजधानी दोहा में इस वार्ता का आयोजन किया जायेगा। अफगानिस्तान में 18 वर्षों के युद्ध को समाप्त करने के लिए वार्ता जारी है।
अंतिम समझौते के काफी करीब
क़तर में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि “एक वर्ष से दोनों पक्ष मेहनत से कार्य कर रहे हैं और एक मसौदे को तैयार किया है जिसमे सभी प्रमुख मसलो को जगह दी गयी है। तालिबानी वार्ताकारो ने अपना काम कर दिया है और अब यह अमेरिकी पक्ष पर निर्भर करता है कि वह वार्ता प्रक्रिया को अगले स्तर पर लेकर जाएँ।”
आगामी बैठक की उम्मीदों के बाबत शाहीन ने कहा कि “हमें उम्मीद है कि सैनिको की वापसी पर हम एक समझौते पर पंहुच सकेंगे।” अमेरिका और तालिबान समझौते के काफी करीब पंहुचता जा रहा है और इस संधि के मुख्य में जंग से जूझ रहे देश से सैनिको की वापसी और इस बदले अफगानिस्तान की सरजमीं पर आतंकवदियों को सुरक्षित पनाह न डदेने की सुरक्षा गारंटी शामिल है।
प्रवक्ता ने कहा कि “समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह रूस, चीन, संयुक्त राष्ट्र, पाकिस्तान और ईरान हो सकते हैं। एक बार यदि अमेरिका और तालिबान क्ले बीच समझौता मुकम्मल हो गया तो तत्काल अफगान भागीदारो के साथ वार्ता प्रक्रिया में प्रवेश करना होगा।”
तालिबान ने निरंतर राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के साथ सीधे बातचीत के लिए इंकार किया है क्योंकि उनके मुताबिक अफगानी सरकार अमेरिका के हाथो की कठपुतली है।
तालिबान के प्रमुख वार्ताकार ने इस माह के शुरुआत में कहा कि “हम इस बाबत प्रतिबद्ध है कि जब अमेरिका के साथ सैनिको की वापसी के समझौते पर दस्तखत किये जायेंगे और समयसीमा दी जाएगी और अंतरराष्ट्रीय भागीदार अंतिम समझौते के गवाह होंगे इसके बाद ही हम आंतरिक अफगान वार्ता को आयोजन करेंगे।”