अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में तालिबान को शामिल करने के लिए अमेरिका इच्छुक हैं और तालिबान को एक सुरक्षा तंत्र का ऑफर दिया है, जिसमे विद्रोहियों के लिए नौकरी के अवसर होंगे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस, चीन और अन्य विश्व के देश तालिबान को अफगान शांति प्रक्रिया में शामिल करने के प्रयासों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक “तालिबान के कुछ सदस्य संघर्ष से भयभीत है और अपने हथियारों का समर्पण करने को तत्पर है, वह समाज में दोबारा तब ही प्रवेश करेंगे, जब उनकी और उनके परिवार वालो की सुरक्षा की गारंटी ली जाएगी और जब उनके पास अपने परिवार का पालन पोषण करने लायक धन कम सकने के योग्य होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार इस सप्ताह पेंटागन ने इस योजना को अमेरिकी कांग्रेस में भेजा है, साथ ही अमेरिकी सुरक्षा चिंता के मसले और अफगानिस्तान के पड़ोसियों के हितों के बाबत प्रस्ताव भी भेजा है। स्थानीय नेता शांति की एक आस के लिए छोटे स्तर पर विकास कार्यों पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन अफगानिस्तान की सरकार ने किसी भी नेशनल रिइंटीग्रेशन प्रोग्राम का विकास नहीं किया है।
तालिबान को अफगान शांति प्रक्रिया में शामिल करने के लिए अमेरिका ने उन्हें रोजगार की गारंटी का प्रस्ताव दिया है। डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी पर योजना बना रही है। पेंटागन ने तालिबान पर बातचीत के दबाव के लिए पर्याप्त सैनिक तैनात रखने का समर्थन किया है।
बीते 16 वर्षों से अमेरिका और उसके साथी, तालिबान पर टिकाऊ और समावेशी राजनीतिक समाधान का दबाव बनाने के लिए सैनिकों का इस्तेमाल करते रहे हैं। तालिबान ने अमेरिका के विशेष राजदूत ज़लमय खलीलजाद से क़तर में शांति वार्ता की थी। क़तर में विद्रोही समूह का दफ्तर है। पेंटागन ने ज़लमय खलीलजाद द्वारा शुरू की गयी शांति प्रक्रिया का समर्थन किया है।
खलीलजाद ने नियमित तौर पर तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की है, साथ ही अफगानिस्तान की सुलह प्रक्रिया से जुड़े सभी देशों,मसलन भाफ्रत और पाकिस्तान की यात्रा की है। पेंटागन की योजना के मुताबिक तालिबान पर सैन्य दबाव, अंतर्राष्ट्रीय शांति की गुहार और नए समझौते ने शांति वार्ता के लिए दबाव बनाया है।
अफगानिस्तान में तालिबान का अधिकतर ग्रामीण इलाकों पर कब्ज़ा है, और तालिबान का सरकार के चेकपॉइंट और ग्रामीण जिलों में आक्रमण जारी है।