अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका और तालिबान के मध्य कोई भी शांति समझौता बिना अफगानी सरकार के संभव नही है, इसमे उनकी सरकार निर्णायक होगी। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि किसी भी शांति समझौते के अंत मे अफगानी सरकार निर्णायक भूमिका में होगी। उन्होंने कहा कि कोई भी ताकत सरकार को नहीं खत्म के सकते हैं।
अशरफ गनी ने कहा कि “वह अपने देश के संरक्षण और उसके लिए खड़े होने को तैयार है और कोई हमें दरकिनार नही कर सकता है।” बुधवार को ट्वीटर पर उन्होंने कहा था कि उन्हें अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पेओ का फोन आया था, उन्होंने अफगानिस्तान के साथ वांशिगटन की साझेदारी की प्रतिबद्धता दिखायी थी।
हाल ही अमेरिका के विशेष राजदूत ज़लमय खलीलजाद ने तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ क़तर में छह दिनों तक बातचीत की थी। ज़लमय खलीलजाद ने इस मुलाकात के बाद वार्ता में सार्थक प्रगति का बयान दिया था। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने जंग के हालातों से जूझ रहे देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर अपनी चिंता जाहिर की थी।
हाल ही में खुफिया विभाग ने चेतावनी दी थी कि अमेरिस सैनिकों की सीरिया और अफगानिस्तान से वापसी अलकायदा और इस्लामिक स्टेट को वापसी का मार्ग मुहैया कर सकती है। गुरूवार को भी सदन में इसके खिलाफ समर्थम दिया गया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों से उनकी घरवापसी का वादा , मेरे राष्ट्रपति पद पर चयन का प्रमुख भाग था।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने कहा कि सभी विदेशी सेनाएं हमारी सरजमीं को छोड़ देंगी, क्योंकि यह चरमपंथी समूह तालिबान की मांग है। तालिबान और अमेरिका के अम्ध्य शांति वार्ता में सार्थक प्रगति हो रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी अफगानी विदेशी सेना को अपनी सरजमीं पर लम्बे अंतराल तक तैनात नहीं चाहता है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि देश के 45000 सैनिक साल 2014 से शहीद हुए हैं। अशरफ गनी को सत्ता साल 2014 में ही मिली थी। यह आंकड़े पूर्व में जारी किये आंकडं से कही अधिक है। बीते वर्ष अशरफ गनी ने कहा था कि साल 2015 से 28000 सैनिक मारे गए हैं।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मृतक सैनिकों की संख्या 72 से भी कम है, इससे पता चलता है कि हकीकत में कौन युद्ध लड़ रहा है। अमेरिकी और तालिबान के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की मुलाकात के बाद उन्होंने यह आंकड़े जारी किये हैं।
अफगानिस्तान में अमेरिका के 14 हज़ार सैनिक तैनात है जिसमे वह आधों को वापस बुलाने चाहते हैं।