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    अफगानिस्तान के चरमपंथी समूह तालिबान ने पाकिस्तान में अमेरिका के साथ बातचीत के लिए इनकार कर दिया है। हाल ही कि पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के मुताबिक तालिबान पाकिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद के साथ दोबारा बातचीत पर विचार कर रहा है।

    पाकिस्तानी खबरों के अनुसार शुक्रवार को  प्रधानमंत्री इमरान खान व दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों की ने अमेरिका की राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद से मुलाकात की थी। साथ ही इस्लामाबाद में चरमपंथी समूह के साथ बातचीत की अफवाह भी उड़ाई गयी थी।

    तालिबान के वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान सहित कई क्षेत्रीय देशों ने हमारे साथ बातचीत के लिए संपर्क किया था, यह देश चाहते थे कि इस्लामाबाद में हम अमेरिकी समूह के साथ बातचीत करें, इसमे अफगानिस्तान की सरकार को भी शामिल करने का भी मशविरा दिया गया था लेकिन हमने इसे सिरे से खारिज कर दिया था।

    गौरतलब है कि 17 साल से जारी जंग को खत्म करने के लिए अमेरिका तालिबान को शांति के लिए मनाने में जुटा हुआ है।

    हाल ही में यूएई में तालिबान प्रतिनिधियों ने अफगान सरकार के अधिकारीयों, अमेरिकी राजदूत व अन्य लोगों से शांति के बाबत बातचीत की थी। साल 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार रही थी। केवल सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान ने तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी।

    अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में तालिबान को शामिल करने के लिए अमेरिका इच्छुक हैं और तालिबान को एक सुरक्षा तंत्र का ऑफर दिया है, जिसमे विद्रोहियों के लिए नौकरी के अवसर होंगे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस, चीन और अन्य विश्व के देश तालिबान को अफगान शांति प्रक्रिया में शामिल करने के प्रयासों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

    नवम्बर में नाटो के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अशरफ गनी की सरकार का प्रभाव या नियंत्रण 65 फीसदी जनता पर है लेकिन अफगानिस्तान के 407 जिले ही अफगान सरकार के पास है। तालिबान के दावे के मुताबिक वह देश के 70 फीसदी भाग पर नियंत्रण करता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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