चीन ने मंगलवार को मांग की कि अमेरिका तत्काल ताइवान के साथ 2.2 अरब डॉलर के हथियार समझौते को तत्काल रद्द करे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “चीन ने कूटनीतिक चैनलो के जरिये एक अधिकारिक शिकायत दर्ज की है, जिसमे इस कदम पर सख्त असंतोष और विरोध दर्ज किया है।”
इस समझौते में 108 एम1ए2टी अब्राम टैंक, 250 स्ट्रिंग पोर्टेबल एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल, सम्बंधित उपकरण और सहयोग शामिल है। अमेरिका के रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने कहा कि “यह समझौते खरीदने वाले के प्रमुख बैटल टैंक फ्लीट के आधुनिकरण में योगदान देगा, वायु रक्षा प्रणाली में सुधार और विदेशी नीति व राष्ट्रीय सुरक्षा में सहयोग करेगा।”
गेंग ने कहा कि “अमेरिका का कृत्य चीन के आंतरिक मामले में दखलंदाज़ी और शिन की संप्रभुता और सुरक्षा हितो को नजरंदाज़ करना है।” उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका एक चीनी प्रणाली का उल्लंघन कर रहा है। ताईवान चीन का भूभाग है और अमेरिका के द्वीप के साथ कोई कूटनीतिक सम्बन्ध नहीं है।”
ताइवान के राष्ट्रपति दफ्तर ने इस समझौते के लिए अमेरिका के प्रति आभार व्यक्त किया है। चीन ताइवान को आने भूभाग का हिस्सा मानता है जबकि यह द्वीप साल 1949 के गृह युद्ध के दौरान चीन से अलग स्वतंत्र हो गया था। बीजिंग ने पहले भी अमेरिका के ताइवान को हथियार बेचने पर आपत्ति व्यक्त की थी और इसे चीन के आंतरिक मामले में दखलंदाज़ी करार दिया था।
चीन और अमेरिका के बीच अभी व्यापार युद्ध जारी है। चीन और अमेरिका ने एक-दूसरे के 360 अरब डॉलर के उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाया था। ट्रम्प और चीनी समकक्षी ने दिसम्बर 2018 मजीद तनाव को रोकने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।