चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग्हे ने रविवार को कहा कि “अमेरिका के साथ जंग विश्व के लिए तबाही लेकर आएगी और अमेरिका को ताइवान और दक्षिणी चीनी सागर के सुरक्षा विवादों में दखलंदाज़ी नहीं करने की चेतावनी दी है।” अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा लोकतंत्र ताइवान के साथ समर्थन को बढ़ाने की हरकतों से चीन खफा है।
ताइवान मामले में हस्तक्षेप न करें
अमेरिका की नौसेना ने ताइवान और चीन को अलग करने वाले जलमार्ग पर भी नौचालन किया था। सिंगापुर में शांगरी ला वार्ता में चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि “अगर ताइवान के साथ उनके संबंधों में किसी ने दखलंदाज़ी करने की कोशिश की तो चीन अंत तक लड़ता रहेगा।” ताइवान को चीन अपने भूभाग का हिस्सा मानता है जिसे वह ताकत का इस्तेमाल कर भी हथिया सकता है।
साल 2011 के बाद शांगरी ला वार्ता में बोलने वाले वेई पहले रक्षा मंत्री है और उन्होंने कहा कि “बीजिंग के एशिया में सैन्य अभियान पूरी तरह आत्म रखा पर निर्भर है लेकिन हम अपने हितो पर हमले करने वाले पर जवाबी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेंगे।”
उन्होंने कहा कि “चीन तब तक हमला नहीं करेगा जब तक हमला हम पर नहीं होता। चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष के परिमाण बेहद संजीदा हो सकते हैं। दोनों पक्षों को मालूम है कि युद्ध दोनों देशों और समूचे विश्व के लिए तबाही लेकर आएगा।” अमेरिका के साथ ही अधिकतर देशों के ताइवान के साथ आधिकारिक सम्बन्ध नहीं है लेकिन वह ताइवान का मज़बूत समर्थक और हथियारों का प्रमुख स्त्रोत है।”
अमेरिका को चेतावनी
शनिवार को अमेरिका के कार्यकारी रक्षा सचिव ने कहा था कि “एशिया में चीन के गोपनीय रवैये को अमेरिका ज्यादा देर टिकने नहीं देगा।” चीनी मंत्री ने कहा कि “चीन के विभाजन की कोशिश सफल नहीं होगी। ताइवान में दखलंदाज़ी करने वाले को हार का मुंह देखना होगा। यदि कोई भी चीन से ताइवान को अलग करेगा तो चीनी सेना के समक्ष युद्ध के आलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। चीन संगठित था और रहेगा।”
व्यापार युद्ध के कारण चीन और अमेरिका के सम्बन्ध खराब होते जा रहे हैं। ताइवान और दक्षिण चीनी सागर दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा रहा है।
मई में ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डेविड ली ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन से मुलाकात की थी। चार दशकों के बाद दोनों देशों के आला अधिकारीयों के यह पहली मुलाकात थी। ताइवान में जनवरी में चुनावो का आयोजन होगा। राष्ट्रपति त्साई इंग वेन चीन पर ताइवान के लोकतंत्र को नजरअंदाज करने का आरोप लगाती रही है और उन्होंने द्वीप की रक्षा और आज़ादी का संकल्प लिया है।
अमेरिका की तरफ इशारा करते हुए वेई ने कहा कि “बाहरी क्षेत्र के कुछ देश दक्षिणी चीनी सागर में नौचालन की आज़ादी के नाम पर अपनी पैठ बढ़ाने के लिए आते हैं।” इस माह बीजिंग के थिएअनमन स्क्वायर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना की क्रूर कार्रवाई को 30 वर्ष हो चुके हैं।
थिएअनमन स्क्वायर पर सेना की क्रूरता के बाबत वेई ने सरकार के निर्णय का बचाव किया। यह कार्रवाई 4 जून 1989 को हुई थी और यह दुर्लभ बयान था। उन्होंने कहा कि “इस अराजकता को रोकने के लिए सरकार ने निर्णायक फैसला किया था। इसके कारण चीन में स्थिरता है, अगर आप चीन की यात्रा करेंगे तो आप समझेंगे कि यह इतिहास का भाग है।”
अमेरिका और चीन के बीच तनाव बीते माह से बढ़ गया था जब अमेरिकी प्रशासन ने चीन पर अपने वादों को तोड़ने का आरोप लगाया था। वांशिगटन ने 200 अरब डॉलर के चीन के उत्पादों पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था। चीन के उपवाणिज्य मंत्री वांग शुवें ने कहा कि “वादाखिलाफी का आरोप चीन पर लगाना गैरजिम्मेदारना है।”
मैम आप बहुत अच्छा लिखती है। आपकी ख़बर पड़ कर हमें विदेशों में क्या हो रहा है उसकी जानकारी मिल जाती है।