अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को घोषित किया है। इस रणनीति में चीन व रूस सहित कई इस्लामवादी देशों को खतरा बताया है। मुख्यतः चीन को अमेरिका ने अपने प्रतियोगी के रूप में शामिल किया है। चीन ने कहा कि चीन व अमेरिका के बीच में सहयोग होने से दोनों ही देशों को फायदा मिलेगा।
लेकिन दोनों देशों के बीच टकराव होने से परस्पर रूप से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। ये बात चीन ने मंगलवार को तब कही जब अमेरिका ने चीन को प्रतियोगी व प्रमुख चुनौती के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में बताया है। चीन ने अमेरिका को प्रतियोगी की जगह सहयोगी मानने के लिए कहा है।
अमेरिका मे चीनी दूतावास ने अपने वेबसाइट में कहा है कि चीन आशा करता है कि अमेरिका जल्द ही अपनी ओछी मानसिकता को त्याग देगा। साथ ही विभिन्न अंतरों के बावजूद दोनों देश आम जीवन व संबंधों की तलाश करे।
चीनी दूतावास ने कहा है कि आपसी सम्मान के आधार पर चीन, अमेरिका सहित सभी अन्य देशों के साथ शांतिपूर्वक संबंध व अस्तित्व के लिए तैयार है। लेकिन अमेरिका को भी चीन के विकास के अनुकूल होते हुए इसे स्वीकार करना होगा।
अमेरिकी फर्स्ट पर आधारित है नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तहत चीन के प्रति आशंका व चीनी प्रभाव को कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। अमेरिका ने पाकिस्तान, रूस व चीन को तवज्जो न देकर भारत को अपना प्रमुख सहयोगी व भागीदार बताया है।
अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति ट्रम्प के विचार अमेरिकी फर्स्ट पर आधारित लगती है। गौरतलब है कि चीन व अमेरिका के बीच संबंध अधिक मजबूत नहीं है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कुछ समय पहले चीनी दौरे के दौरान दोनो देशों के बीच संबंधों को थोड़ी मजबूती मिली थी।
उत्तर कोरिया संकट को लेकर अमेरिका व चीन साथ में आए है व उस पर दबाव बना रहे है। लेकिन अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में चीन को प्रतियोगी व खतरा मानना चीन व अमेरिका के संबंधों को कमजोर कर सकता है।