अमेरिका और चीन ने व्यापार समझौते से सम्बंधित महत्वपूर्ण मसलों पर मंगलवार को फोन पर चर्चा की थी। चीनी वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक चीनी राज्य परिषद् के उप प्रमुख लिऊ ही और अमेरिका के ट्रेज़री सेक्रेटरी स्टीवन म्युनिक ने बातचीत की थी।
मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक “दोनों पक्षों ने व्यापार समझौते से सम्बंधित महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा और आगे के कार्य के लिए एजेंडा तैयार किया था।” साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात के बाद समझौते में प्रगति देख सकते हैं।
व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि “अमेरिका और चीन के मध्य 14-15 फरवरी की बातचीत में काफी प्रगति हुई है लेकिन अभी भी काफी कार्य करना बाकी है।” यह मंत्री स्तरीय बैठक का आयोजन किसी समझौते पर पंहुचने के प्रयासों को बढ़ाना है। ताकि चीन पर अमेरिका लगाए गए शुल्क में वृद्धि न कर दें।
वांशिगटन चाहता है कि अमेरिका अपने बाज़ार के द्वार खोले और उद्योगिक सब्सिडी घटाकर, 375 बिलियन डॉलर के व्यापार अंतर को भरे। डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी उत्पादों के निर्यात पर 250 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाया था। सूत्रों के मुताबिक 200 बिलियन डॉलर के चीनी उत्पादों पर जनवरी से 10 से 25 फीसदी तक वृद्धि करनी थी लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने इस पर रोक लगा दी थी।
डोनाल्ड ट्रम्प ने धमकी दी है यदि चीन अमेरिका की मांगों को पूरा करने में असमर्थ रहता है तो 267 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाया जायेगा। अमेरिका का आरोप है कि तकनीक की चोरी करता है और फिर उसे सस्ते दामों में उपलब्ध करता है।
हाल ही में, 1 मार्च से पूर्व बैठक के आयोजन के बाबत डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि इस तय समयसीमा से पूर्व मुलाकात नहीं हो सकती है। ट्रम्प ने कहा कि अंतिम प्रस्ताव मेरे और शी जिनपिंग के मुलाकात के बाद ही संपन्न हो पायेगा। मीडिया ने कहा कि उत्तर कोरिया किम जोंग उन से वियतनाम के बाद डोनाल्ड ट्रम्प शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।
चीन और अमेरिका ने एक-दूसरे के राष्ट्र आयातित उत्पाद टैरिफ लगा रखा है। अमेरिका ने चीन के 360 अरब डॉलर तक के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगा रखा है। विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपने बीच जमी मतभेदों की बर्फ को पिघलाने की कोशिश कर रहे हैं।