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    पाकिस्तान अमेरिका और चीन

    अमेरिका ने पिछले कुछ समय में पाकिस्तान पर आतंकवाद के मुद्दे पर कई बार निशाना साधा है। पहले ट्रम्प सरकार ने पाकिस्तान को हर साल मिलने वाली आर्थिक सहायता पर प्रतिबन्ध लगाया, उसके बाद ट्रम्प ने पुरे विश्व के सामने पाकिस्तान को आतंकवाद का रक्षक देश बताया।

    पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका के इस सख्त रवैये के बाद अब पाकिस्तान में भी इसकी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। पिछले कुछ समय में पाकिस्तानी मीडिया लगातार अमेरिका पर निशाना साध रही है। इसके अलावा पाकिस्तान में चीन के साथ रिश्तों को मजबूत करने की मांग की जा रही है।

    पाकिस्तान ने आज अपने अख़बार ट्रिब्यून में अमेरिका के खिआफ़ अपनी रणनीति को दर्शाया है। इसमें पाकिस्तान ने लिखा है कि अगर ट्रम्प सरकार का रवैया पकिस्तान के खिलाफ सख्त रहा, तो पाकिस्तान कूटनीतिक तरीकों से अमेरिका के विरुद्ध सख्त रुख अख्तियार करेगा।

    इसके अलावा पाकिस्तान ने अमेरिका की अफगानिस्तान नीति पर भी अपना सहयोग हटाने की बात कही है। पाकिस्तान ने अमेरिका को अपनी जमीन को इस्तेमाल करने पर रोक लगाने की बात कही है।

    इस समय अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक चल रही है, जिसमे पाकिस्तानी विदेश मंत्री आसिफ ख्वाजा शामिल होंगे। इस दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के भविष्य में रिश्तों पर चर्चा होगी।

    दरअसल पाकिस्तान के खिलाफ भारत लम्बे समय से विश्व स्तर पर आवाज उठा रहा था। भारत का मक़सद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाकिस्तान को आतंकवादी देश साबित करना था। ओबामा के कार्यकाल के दौरान कई बार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का जिक्र किया गया था, लेकिन कभी सीधे तौर पर पाकिस्तान को आतंकवाद से नहीं जोड़ा गया था।

    डोनाल्ड ट्रम्प के सरकार में आने के बाद से ही अमेरिका का पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख देखा जा सकता है। सबसे पहले ट्रम्प सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को मिलने वाली सहायता पर प्रतिबन्ध लगाया। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान में रह रहे कई आतंकवादियों को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया। हाल ही में ट्रम्प ने अपनी अफगानिस्तान रणनीति के दौरान पाकिस्तान को आतंकवादी देश करार दे दिया था।

    जहाँ एक ओर यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत थी, वहीँ पाकिस्तान को इससे बड़ा झटका लगा था। पाकिस्तानी मीडिया और वरिष्ठ अधिकारीयों ने अमेरिका के इस कदम की बड़ी आलोचना की थी। अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने पर भी जोर दिया था, जिसकी वजह से पाकिस्तान और भड़क गया था।

    जहाँ एक और पाकिस्तान को अमेरिका से ठेस पहुंची है, वहीँ पाकिस्तान के साथ देश चीन की भी अमेरिका के खिलाफ कड़े रुख दिखाई दे रहे हैं। इस बात का फायदा उठाकर पाकिस्तान धीरे धीरे अमेरिका से दूर होकर चीन के नजदीक जाता दिख रहा है। चीन के रूप में पाकिस्तान को एशिया में एक बड़ा मजबुत साथी दिखा रहा है।

    इसके अलावा भारत से टक्कर लेने के लिए भी चीन पाकिस्तान को मददगार के रूप में दिख रहा है। चीन लगातार पाकिस्तान में निवेश कर रहा है, जिस्सकी वजह से पाकिस्तान का उसके लिए समर्थन भी बढ़ रहा है। चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना में पाकिस्तान एक बड़ा भागीदार है।

    चीन को अपनी ओर देखकर पाकिस्तान में अब अमेरिका के खिलाफ जाने की हिम्मत दिख रही है। पाकिस्तानी अधिकारीयों के मुताबिक अमेरिका से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिल रही है। उनके मुताबिक चीन के साथ जाने में ही उनकी भलाई है।

    चीन को पाकिस्तान के इस फैसले के खासी मदद मिलेगी। चीन वन बेल्ट वन रोड योजना के तहत पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर अपनी नजर गड़ाए हुए है। अगर चीन कराची बंदरगाह पर अपनी पकड़ बनाने में सफल हो जाता है, तो उसके लिए अरेबियन सागर में मजबूत उपस्थिति बनाना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही चीन मध्य पूर्वी देशों से मजबूत रिश्ते बनाने में भी सफल हो जाएगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।