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    रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

    वॉशिंगटन, 27 अप्रैल| फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप की ताजा चेतावनी दी है। एफबीआई ने इसे ‘महत्वपूर्ण खुफियारोधी खतरा’ बताया है।

    द न्यूयॉर्क टाइम्स की रपट के मुताबिक, एफबीआई, खुफिया एजेंसियों और घरेलू सुरक्षा विभाग ने 2018 में हुए मध्यावधि चुनाव के लिए गठित कार्यबल को स्थायी बना दिया है।

    एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर ए. रे ने अमेरिका में रूसी खुफिया अधिकारियों की मौजूदगी और अभियानों को प्रभावित करने के रूस के पिछले रिकॉर्ड का हवाला देते हुए शुक्रवार को यहां एक भाषण में कहा, “हम जानते हैं कि हमारे विरोधी स्थिति के अनुसार बदलाव करते रहेंगे, अपनी चाल को और धार देते रहेंगे।”

    उन्होंने कहा, “इसलिए हम 2018 को 2020 के बड़े शो की ड्रेस र्हिसल के तौर पर देख रहे हैं।”

    उन्होंने कहा, “जो चीज बिना किसी बाधा के लगातार जारी रही है, वह है हमें एक-दूसरे के खिलाफ लड़वाने के लिए, विभाजन और मतभेद के बीज बोने के लिए और लोकतंत्र में अमेरिका के विश्वास को कमजोर करने के लिए सोशल मीडिया, फेक न्यूज, प्रोपगैंडा, फर्जी शख्सियतों आदि का इस्तेमाल करना।”

    एफबीआई के निदेशक ने कहा, “यह केवल चुनावी-चक्र से जुड़ा खतरा नहीं है। यह साल के 365 दिनों का खतरा है।”

    रूस और अपने अन्य विरोधियों से इस खतरे को देखते हुए, एफबीआई ने हाल ही में करीब 40 एजेंटों और विश्लेषकों को खुफिया रोधी विभाग में भेज दिया।

    इनमें से कई एजेंट फॉरन एंन्फ्लुएंस टास्क फोर्स के लिए काम करेंगे, जो साइबर, खुफिया रोधी और आपराधिक विशेषज्ञों का एक समूह है।

    राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और अमेरिकी साइबर कमांड ने भी रूसी हस्तक्षेप को समय रहते पहचानने और रोकने के लिए अपने संयुक्त टास्क फोर्स में विस्तार किया है और उसे स्थायी बनाया है।

    खुफिया अधिकारियों का कहना है कि रूप 2016 के चुनाव से ही चुनाव में हस्तक्षेप करता रहा है। उन्होंने मध्यावधि चुनाव में भी यह किया और आगामी राष्ट्रपति चुनाव में भी और सशक्त तरीके से हस्तक्षेप करने की संभावना है, वह भी नई रणनीति के साथ।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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