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    अमेरिका उत्तर कोरिया रूस

    अमेरिका ने मंगलवार को उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को करने के पीछे दो महत्वपूर्ण उत्तर कोरियाई विशेषज्ञों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। वहीं रूस ने अमेरिका व उत्तर कोरिया के बीच तनाव कम करने को लेकर मध्यस्थता करने को कहा।

    रूस ऐसा प्रस्ताव पहले भी दे चुका है। अमेरिका के द्वारा हाल ही में उत्तर कोरिया के ऊपर नए प्रतिबंधों का ऐलान किया गया था जिसमें रूस व चीन ने भी समर्थन दिया था।

    अमेरिकी मूल के ट्रेजरी सचिव स्टीवन मनुचिन ने एक बयान में कहा कि उत्तर कोरिया में बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को करने के पीछे जिन उत्तर कोरियाई विशेषज्ञों का हाथ है, उन पर अधिकतम दबाव बनाया जा रहा है। अमेरिका ने इन पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि अब हमारे देश की किसी प्रकार का संबंध नहीं रख सकेंगे।

    इन प्रतिबंधों के बाद वापिस से मौजूदा हालातों में लगता है कि अमेरिका व उत्तर कोरिया युद्ध लड़ने के लिए पास आ रहे है। अमेरिका लगातार उत्तर कोरिया पर किसी न किसी तरह का दबाव बना रहा है। दोनों अधिकारियों के ऊपर उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों व मिसाइल कार्यक्रमों में भूमिका निभाने का आरोप अमेरिका ने लगाया है।

    उत्तर कोरिया के दो अधिकारी किम जोंग सिक और री प्योंग चोल को टारगेट करते हुए इन पर प्रतिबंध व दबाव बनाया है। जोंग सिक पर आरोप है कि उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रमों में तरल से लेकर ठोस पदार्थों को पहुंचाने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

    वहीं री प्योंग ने इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) के विकास में एक प्रमुख अधिकारी की भूमिका को अदा किया था।

    जानकारी के अनुसार ये दोनों उत्तर कोरिया शासक किम जोंग के पसंदीदा अधिकारियों में से है। विशेषज्ञों की माने तो री प्योंग सबसे प्रमुख सहयोगियों में से एक है और मिसाइल कार्यक्रम पर श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता है।

    वहीं किम जोंग सिक एक प्रमुख रॉकेट वैज्ञानिक है जो साल 2012 में उत्तर कोरिया के पहले सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आए थे।

    अब संभावना है कि उत्तर कोरिया अधिकारियों पर प्रतिबंधों के बाद अब उसके परमाणु व मिसाइल कार्यक्रमों को झटका लग सकता है।