ईरान ने रविवार को अमेरिका और इस्लामिक गणराज्य के बीच बातचीत की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया है। तेहरान के मुतबिक वांशिगटन के रवैये और कार्रवाई में परिवर्तन न आने तक बातचीत समभाव नहीं है। हाल ही में अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा था कि “वांशिगटन बगैर की शर्त के ईरान के साथ बातचीत के लिए तैयार है।”
अमेरिका सम्मान दर्शाये
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने कहा कि “बातचीत के लिए ईरान के प्रति अमेरिका के सामान्य व्यवहार और कार्रवाई में परिवर्तन होने की जरुरत है। इस्लामिक गणराज्य ईरान शब्दों के खेल को नजरअंदाज करता है और अपने गोपनीय मंसूबो व्यक्त करने के लिए नयी भाषा का इस्तेमाल करता है।”
माइक पोम्पिओ ने रविवार को सिंगापुर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “अमेरिका बगैर किसी शर्त के ईरान के साथ वार्ता के लिए तैयार है। लेकिन ईरान और उसकी सेना की विघातक गतिविधि को रोकने के प्रयास जारी रहेंगे।” अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है।
अमेरिका ने हाल ही में मध्य पूर्व में ईरान के संभावित खतरे का जवाब देने के लिए एक युद्धपोत और बी-52 बमवषर्क की तैनाती की थी। इसके बाद पर्शियन गल्फ में 1500 अतिरिक्त सैनिको की तैनाती की थी और अमेरिका ने तस्वीरो से दावा किया कि ईरान मिसाइलो को पारम्परिक नावों में लोड कर रहा है।
वैश्विक नियमों का पालन हो
शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सुझाव दिया कि “अगर अमेरिका सम्मान प्रदर्शित करे तो ईरान भी बातचीत के लिए इच्छुक है। इस्लामिक देश भयभीत होकर अमेरिका के साथ बातचीत का आयोजन करेगा।”
उन्होंने कहा कि “अगर दूसरा पक्ष सम्मानजनक तरीके से बातचीत की टेबल पर आता है और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करता है तो हम तर्क और वार्ता के लिए तैयार है। हमने प्रदर्शित किया है कि हम भयभीत नहीं है और सत्ता के लोभी नहीं है।”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में हुई अंतर्राष्ट्रीय ताकतों के साथ संधि से वांशिगटन को बाहर निकाल लिया था। इसके बाद ईरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।