ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ जापान की यात्रा में जापानी प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियो से मुलाकात की थी। जावेद जरीफ ने कहा कि “अमेरिका के इस ऐतिहासिक संधि से निकलने के बावजूद ईरान अंतर्राष्ट्रीय परमाणु संधि के तहत दायित्वों के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों को दोबारा थोपना अस्वीकृत है।”
ईरान संयम है
विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने यह बयान जापानी विदेश मंत्री से टोक्यो में मुलाकात के दौरान दी थी। मध्यपूर्व में अमेरिका और ईरान के बीच तनावों में तीव्रता से वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि “बीते वर्ष अमेरिका के इस संधि से निकलने के बावजूद ईरान अधिकतम संयमता बरत रहा है।”
उनका इशारा जॉइंट कम्प्रेहैन्सिव प्लान ऑफ़ एक्शन की तरफ था जिस पर साल 2015 में अमेरिका, ईरान और अन्य देशों ने दस्तखत किये थे। इसके तहत ईरान को यूरेनियम समृद्धता की क्षमता को कम करना था और इसके बदले उन्हें प्रतिबंधों से आज़ादी दी गयी थी।
जापान-ईरान की मुलाकात
डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते से अमेरिका को पीछे खींच लिया था और ईरान पर सभी कठोर प्रतिबन्ध दोबारा थोप दिए थे। तेहरान की अंतर्राष्ट्रीय तेल निर्यात को खत्म कर अमेरिका ईरान की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ना चाहता है। प्रतिबंधों से पूर्व जापान ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीददार था।
रविवार को खाड़ी में चार तेल टैंकरों पर हमला किया गया था और इसकी जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है। सऊदी अरब ने मंगलवार को ऐलान किया कि ड्रोन्स ने उनके दो तेल पम्पिंग स्टेशन पर हमला किया था। ईरान के संभावित खतरे के कारण बुधवार को अमेरिका ने इराक से अपने दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था।
अमेरिका के सूत्रों के मुताबिक ईरान ने तेल टैंकरों पर हमले के लिए उकसाया है। जावेद जरीफ ने कहा कि “हमें यकीन है कि अमेरिका द्वारा बढ़ाया तनाव अस्वीकृत और अनावश्यक है।”
मुलाकात में शिजो आबे ने जरीफ से कहा कि “मैं बेहद चिंतित हूँ कि मध्य पूर्व की स्थिति बेहद तनावग्रस्त होती जा रही है।” जापानी विदेश मंत्री तारो कोनो ने कहा कि “परमाणु संधि को बरक़रार रखना जरुरी है और उन्होंने ईरान से इस पर अमल करने का आग्रह किया है।” एशियाई वाहको और रिफाइनर्स ने मध्य पूर्व की तरफ जा रहे जहाजों को अलर्ट कर दिया है।