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    ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ

    ईरान ने बुधवार को ऐलान किया कि “वह अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों को खोजना जारी रखेगा और उन्हें तेल का निर्यात भी करेगा लेकिन अमेरिका ने अगर हमें रोकने की कोशिश की तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे।” बुधवार को न्यूयॉर्क शहर में सम्बोधन के दौरान ईरानी विदेश मंत्री ने वांशिगटन को किसी सनकी कार्रवाई न करने की धमकी दी है जो ईरान के तेल को बेचने से सम्बंधित हो।

    सोमवार को वांशिगटन ने ऐलान किया कि इस कदम का मतलब ईरान से तेल खरीदने को शून्य करना है और प्रतिबंधों का सामना करना है। उनका मकसद ईरानी तेल के निर्णय को शून्य करना है ताकि सरकार पर परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा सके।

    बयां के अनुसार, अमेरिका, सऊदी अरब और यूएई मिलकर वैश्विक बाजार से ईरानी तेल को बदलने के कार्य कर रहे हैं। इस घोषणा के साथ नवंबर से मंगलवार को तेल की कीमत सबसे उच्च स्तर पर थी। अमेरिका ने आठ देशों, भारत, चीन, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, ग्रीस और ताइवान को ईरानी तेल खरीदने की छह माह तक रिआयत दी थी।

    भारत और चीन ईरानी तेल के सबसे बड़े खरीददार हैं। अगर डॉनल्ड ट्रम्प की मांगो को नज़रअंदाज़ किया गया तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर हो सकता है।

    ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि “ईरानी तेल पर रिआयत को खत्म करने के अमेरिका का निर्णय क्षेत्रीय स्थिरता और शान्ति को कायम नहीं रख पायेगा, यह ईरान की जनता पर बुरा प्रभाव डालेगा।” पड़ोसी मुल्कों के साथ सम्बन्ध को कैसे कायम रखने हैं, इसके बाबत एकतरफा प्रतिबंधों को तुर्की ख़ारिज कर चुका है।

    अमेरिका ने सोमवार को ऐलान किया कि “ईरानी तेल के आयात को शून्य करने के लिए वह 2 मई से सभी देशों की रिआयत को खत्म कर रहे हैं। अमेरिकी राज्य विभाग ने बयान जारी कर कहा कि “चाबहार बंदरगाह एक अलग अपवाद है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्णय से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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