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    ईरानी सेना पर अमेरिकी प्रतिबन्ध

    ईरान की रेवोलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स को अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकी संगठन करार देने के प्रतिकार के लिए ईरानी संसद ने एक विधेयक पारित किया है। संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति समिति के प्रवक्ता अली नजाफी खोस्रोदी ने इसकी जानकारी सार्वजानिक की है।

    अमेरिकी सेना है आतंकी समूह

    इस बिल के मुताबिक, पश्चिमी एशिया में अमेरिकी सेंट्रल कमांड फाॅर्स और उसके साथ कार्य करने वाली कोई भी संस्था या संगठन ईरान की खिलाफत करेगा और आतंकवादी होगा। साथ ही अमेरिकी सेना को वित्तीय, तकनीक और प्रशिक्षण सहयोग, सुविधा और सप्लाई करना आतंकवाद का कार्य होगा।

    वॉल स्ट्रीट जनरल ने 6 अप्रैल को अज्ञात अमेरिकी अधिकारीयों के हवाले से कहा था कि ईरान की रेवोलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स को आतंकवादी समूह घोषित करने की योजना पूर्वनियोजित थी। इसे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलहकार जॉन बोल्टन और राज्य सचिव माइक पोम्पिओ का समर्थन था। जबकि केंद्रीय ख़ुफ़िया विभाग और पेंटागन ने इसके खिलाफ चेतावनी दी थी।

    बिल को संसद की मंज़ूरी

    ईरान के खिलाफ ट्रम्प प्रशासन के यह हालिया आक्रमक रुख है। उनका मकसद ईरान को अलग-थलग और कमजोर करना है जो मध्य एशिया को अस्थिर कर देगा। अमेरिका ने बीते वर्ष साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर सभी प्रतिबन्ध दोबारा लागू कर दिए थे।

    इस्लामिक रिपब्लिक की हितो को चुनौती देने वाले अमेरिका और अन्य सेनाओं के खिलाफ ईरानी सरकार निर्णायक और प्रतिकारी कदम उठाएगी। राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति की पहली समीक्षा के बाद सोमवार को पूरी संसद इस पर चर्चा करेगी।

    अमेरिका के इस कदम के बाद तेहरान में जुम्मे की नमाज के बाद मस्जिद से हज़ारो भक्त बाहर निकल आये और अमेरिका व इजराइल के ध्वजो को आगजनी किया। इस रैली में प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका और इजराइल के विरोध में नारे भी लगाए थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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