भारत में माइक पोम्पिओ के संयुक्त बयान की ईरान ने आज आलोचना की है जिसमे उन्होंने ईरान (Iran) को विश्व का सबसे बड़ा आतंक का प्रयाजोक करार दिया था। भारत ने ईरान के दूतावास ने कहा कि “अमेरिका के राज्य सचिव के ईरान के खिलाफ बेबुनियाद आरोपों को खारिज करते हैं।
उन्होंने कहा कि “अमेरिका अधिकतम दबाव के जरिये ईरान की शांतिपूर्ण जनता के खिलाफ खुलेआम शत्रुता के बीज बो रहा है। पक्षपाती प्रतिबंधों को उन्होंने आतंकवाद का बर्बर एक्ट करार दिया है। अमेरिका ने क्षेत्रीय विवादों को उपजाने और उत्तेजक हितो को साधा है और संघर्ष और असुरक्षा का माहौल की स्थिति बदतर हो गयी है और वह अपने हथियारों के लिए विशाल बाज़ारो का निर्माण कर रहा है।”
ईरानी दूतावास ने कहा कि “बीते एक दशक के दौरान अमेरिका ने दखलंदाज़ी से क्षेत्र के प्राकृतिक सौहार्द, घरेलू गतिविद्या और क्षेत्र में समुदायों के वातावरण के माहौल को बिगाड़ दिया है।” ईरान ने आरोप लगाया कि,तालिबान, अलकायदा और आईएसआईएस जैसे चरमपंथी समूहों के फैलाव अमेरिका के दुसाहस का समकालीन प्रदर्शन है। अफगानिस्तान, इराक, सीरिया और यमन के क्षेत्र में संकट अमेरिका के अधिग्रहण, अवैध सैन्य दखलंदाज़ी, प्रधानता और सोशल इंजीनियरिंग पॉलिसी के कारण है।
उन्होंने कहा कि “ईरान आतंकवाद का पीड़ित है इसने अमेरिका समर्थित आतंकी समूहों के द्वारा अपने 17000 नागरिकों को खोया है। शान्ति और सुरक्षा के लिए प्रभावित क्षेत्रीय वार्ता के प्रचार में सक्रिय योगदान करने के लिए ईरान प्रतिबद्ध है।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “अमेरिका के साथ ईरान कभी भी जंग नहीं चाहता था। ईरान को क्षेत्र में तनाव बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हम अमेरिका सहित किसी भी देश के साथ जंग नहीं चाहते हैं।”
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “अमेरिका के साथ ईरान कभी भी जंग नहीं चाहता था।” दोनों देशों के बीच काफी तनाव बढ़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि “ईरान को क्षेत्र में तनाव बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हम अमेरिका सहित किसी भी देश के साथ जंग नहीं चाहते हैं।”
ट्रम्प ने प्रतिकारी हमले का आदेश दिया था लेकिन इसे अंतिम समय में रद्द कर दिया था। इसके बाद कई लोगो की हत्या हुई थी। दोनों पक्षों के बीच काफी तनाव बढ़ चुका है।