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    ईरान की सेना

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान की एलीट रेव्युलेश्नरी गार्ड्स कोर्प्स को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। इतिहास में पहली बार अमेरिका ने किसी अन्य राष्ट्र की मिलिट्री को आतंकी संगठन का दर्जा दिया है। इसकी प्रतिक्रिया में ईरान ने मध्य एशिया में अमेरिकी सेना को आतंकी संगठन करार दिया है।

    साल 2015 में हुई परमाणु संधि को अमेरिका द्वारा तोड़ने के बाद दोनों देशो के मध्य तनाव काफी बढ़ गया है। ईरानी गार्ड्स को आतंकी संगठन करार देने से अमेरिका उन पर अतिरिक्त प्रतिबन्ध लगा सकता है। ईरान की अर्थव्यवस्था में आईआरजीसी का योगदान है और इससे तेहरान के व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

    अमेरिका ने कई आईआरजीसी और इससे सम्बंधित समूह को कथित प्रसार गतिविधियों में शामिल होने, आतंकवाद को समर्थन करने और मानवधिकार का उल्लंघन करने के आरोप में प्रतिबंधो से बाँध रखा है।

    डोनाल्ड ट्रम्प का बयान

    सोमवार को डोनाल्ड ट्रम्प ने बयान जारी कर कहा कि “राज्य विभाग के नेतृत्व में एक अभूतपूर्व कदम उठाया गया है।ईरान न सिर्फ आतंकवाद का प्रायोजित है बल्कि आईआरजीसी सक्रियता से आतंकवाद का प्रचार और वित्तीय सहायता मुहैया करती है। राष्ट्रपति ने कहा कि इन प्रतिबंधों का मकसद ईरान पर दबाव के स्तर और सीमा का विस्तार करना है।”

    उन्होंने कहा कि “अगर आप आईआरजीसी के साथ कारोबार करते हैं तो आप आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। राज्य विभाग के मुताबिक यह प्रतिबन्ध एक सप्ताह में प्रभावित हो जायेंगे।”

    अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन दोनों ही ईरान से खार खाते हैं। वह निसंदेह इस निर्णय के समर्थक होंगे लेकिन सभी अमेरिकी अधिकारी इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।

    माइक पोम्पिओ ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि “अमेरिका प्रतिबंधो को जारी रखेगा और ईरान पर एक सामान्य राष्ट्र की तरह व्यवहार करने के लिए दबाव बनाएगा। साथ ही अमेरिका के सहयोगियों से ऐसे ही कदम उठाने का आग्रह करेगा। ईरान के नेता कोई क्रांतिकारी नहीं है और उनकी आवाम बेहतर की हकदार है। हम ईरान की जनता की आज़ादी को वापस पाने के लिए मदद करेंगे।

    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि “आईआरजीसी को आतंकी संगठन का तमगा देना बिलकुल सही निर्णय था।

    लेकिन कुछ पेंटागन अधिकारीयों ने इस पर संदेह व्यक्त किया है। जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ जोए दुन्फोर्ड ने सैनिकों की सुरक्षा के बाबत अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।

    ईरान की प्रतिक्रिया

    ईरान की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अमेरिकी सेंट्रल कमांड को एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ़ ने राष्ट्रपति हसन रूहानी को अमेरिका के कृत्य पर प्रतिक्रिया देने के लिए पत्र लिखा था।इस्लामिक रिपब्लिक ने इसकी जवाबी प्रतिक्रिया देने की धमकी दी है।

    ईरानी न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक “हमारी सेना के खिलाफ लिए गए कदमो का हम प्रतिकार करेंगे। 299 में से 255 सांसदों ने यह बयान जारी किया है।

    इजराइल के प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतान्याहू ने इस प्रतिबंधों के लिए अमेरिका को शुक्रिया कहा है।

    अमेरिका का यह कदम ईरान को अलग-थलग करने की रणनीति को दर्शाता है। ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड्स पर यह सार्थक प्रभाव डालेगा। पेंटागन सहित कई अधिकारीयों को भय है कि यह कदम बैकफायर कर सकता है। इसके बाद ईरान अपनी सेना या प्रोक्सी को अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाकर बदला लेने के लिए भड़का सकता है। मसलन इराक में ऐसा हो सकता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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