रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ईरान को आगाह कर दिया है कि यदि वह अमेरिका के अधिक दबाव अभियान की अत्यधिक प्रतिक्रिया देता है तो यह उसका खुद का दायित्व होगा। ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्सेंडर वान डेर बेल्लेन के साथ सोची में वार्ता के दौरान कहा कि “ईरान के जवाबी कार्रवाई में कई कदम उठाये हैं। यह ऐलान किया कि वह परमाणु संधि के कुछ हिस्सों का पालन नहीं करेगी। अगले दिन सब भूल जायेंगे कि अमेरिका ने इस संधि को तोड़ा और ईरान को अपराध का भार खुद ही ढोना होगा।”
हाल ही में अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने रूस की यात्रा की थी और इस दौरान राष्ट्रपति व्लादिमर पुतिन और विदेश म्नत्री के साथ परमाणु संधि पर वार्ता की थी। सूत्रों के मुताबिक, पोम्पिओ डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ से सुलह का सन्देश लेकर आये थे, और ईरान-अमेरिका संघर्ष के बीच रूस को संभावित तटस्थता बनाये रखने की अपील की थी।
पुतिन की विदेश नीति के अलहकार यूरी उषाकोव ने टीआईएसएस से कहा कि “ईरानी परमाणु संधि पर संक्षिप्त में चर्चा की गयी थी। हमने अपने दृष्टिकोण रखा था। राष्ट्रपति और राज्य सचिव ने ईरान के बाबत संभावित विकास पर चर्चा की थी। मैं कहना चाहूंगा कि यह दिलचस्प चर्चा थी।”
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने रूस और चीन का समर्थन करने के लिए सराहना की थी और कहा कि सिर्फ वे दोनों ही परमाणु संधि को बचाये रखने में मदद कर रहे हैं। चीन की यात्रा के दौरान जावेद जरीफ ने बीजिंग और मास्को को समझौते की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने के लिए आग्रह किया था जबकि खतरनाक हालातो के लिए चेतावनी भी दी थी।
रूस के राष्ट्रपति ने तीन बयान जारी किये थे और इसमें अमेरिका, यूरोपीय संघ और ईरानी नेतृत्व को दिया था। उन्होंने अमेरिका पर परमाणु निरिक्षण और संधि को बरक़रार रखने के लिए विश्वास बढ़ाने का कटाव करने का आरोप लगाया है। दूसरा सन्देश में यूरोपीय संघ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह अपमी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में असफल रहे हैं। मॉस्को समझता था कि संधि में यूरोपीय पक्ष ईरान के पसंदीदा मध्यस्थ है।
अंत में तीसरा सन्देश ईरान के नेतृत्व को था। क्रेम्लिन तेहरान के साथ साझा करता है कि जब अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर बात आती है तो कौन सही है इस पर बहस करना कड़वी सीख होती है। पुतिन ने इशारो में कहा कि अगर तेहरान गैर तनाव से तनाव के मार्ग की तरफ बढ़ेगा तब उसे सभी प्रकार की धक्कों को सहने के लिए तैयार रहना चाहिए।
सीरिया में सैन्य अभियान की शुरुआत से ही ईरान के कई जानकारों से रूस से करीबी गठबंधन के खिलाफ चेताया था। रूस ने ईरान के साथ स्मार्ट संबंधों को विकसित किया है जिसे वह पश्चिम के साथ सौदेबाज़ी करने में इस्तेमाल करेगा।