अमेरिका ने ईरान की अर्थव्यवस्था को झकझोर देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। अमेरिका ने सभी सहयोगी राष्ट्रों को ईरान के साथ तेल सौदे को शून्य करने की धमकी दी साथ ही तेहरान पर प्रतिबन्ध भी थोपे। अमेरिका ने मंगलवार को ईरान के दो बैंकों और कंपनी पर बसीज सैन्य समूह से ताल्लुक होने के शक में प्रतिबन्ध लगा दिए।
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ ने ट्वीट कर कहा कि ये अमेरिकी प्रतिबन्ध अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक अदालत की अवहेलना है। आईसीजे ने कहा था कि मानवीय जरूरतों को पूर्ती के लिए व्यापार पर पाबंदी नहीं लगानी चाहिए साथ ही इस विवाद को और नहीं भड़काना चाहिए।
ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि यह कानून और मानव अधिकार के नियमों की अनदेखी है। ईरान पर प्रतिबन्ध थोपकर अमेरिका अपने बेलगाम कानून को दिखा रहा है।
साल 2015 में ईरान और अमेरिका के मध्य हुई परमाणु संधि को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई में तोड़ दिया था। साथ ही अगस्त में ईरान पर प्रतिबन्ध भी लगा दिए थे। ईरान को भेजी जाने सामग्री मसलन खाद्य पदार्थ और दवाइयों पर भी पाबन्दी लगा दी थी।
ईरान के तेल उद्योग पर 4 नवंबर को दूसरे चरण के प्रतिबन्ध लगाए जायेंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के प्रतिबन्ध अब हद से गुज़र रहे हैं। उन्होंने कहा इनमे से एक बैंक खाद्य और दवाइयों को आयत करता है और किसी सेना से नहीं मिला हुआ है।
इससे पूर्व ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका का ये प्रतिबन्ध थोपना उसकी द्वेषपूर्ण नीति को दर्शा रहा है।
दूसरे चरण के प्रतिबन्ध से ईरान से तेल और अन्य उत्पादों का आयात घट जायेगा। ईरान की मुद्रा रियाल निचले स्तर पर आ जाएगी। साथ ही बैंकों पर आर्थिक समस्या पड़ेगी, काम शब्दों में ईरान की अर्थव्यवस्था की सेहत खराब हो जाएगी।
अमेरिका अधिकतर देशों से कहा है कि 4 नवंबर तक ईरान से तेल का सौदा करना बंद कर दे। भारत के ईरान से तेल खरीदना जारी रखने के बयान पर राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा था कि भारत को परिणाम जल्द ही पता चल जायेंगे।