अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 12 मई तक ईरान परमाणु संधी पर अमेरिका के रुख को स्पष्ट करेंगे। ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में प्रस्तावित इस ईरान परमाणु संधी को फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, रूस, अमेरिका, जर्मनी की के सहयोग से लागु कराया गया था।
अपने चुनावी मुहीम में डोनाल्ड ट्रम्प ईरान परमाणु संधी की कई बार आलोचना भी कर चुके हैं और अमेरिका को इस संधी से बाहर लाना, उनके चुनावी वादों में से एक हैं। ट्रम्प 12 मई को अपना निर्णय सबके सामने रखेंगे, इस निर्णय पर पुरे विश्व की निगाहें टिकी हुई हैं।
ओबमा प्रशासन की गलती बताते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प, पेरिस जलवायु परिवर्तन संधी से अमेरिका को वापिस ले चुके हैं।
ईरानी विदेश मंत्री के अनुसार अगर अमेरिका इस परमाणु करार से बाहर हो जाता हैं, तो अमेरिका खुद के विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा हैं। और अमेरिका के इस कदम का परिणाम पूरे विश्व पड़ सकता हैं, खास तौर पर मध्य-पूर्व के देशों पर।
अमेरिका का परमाणु करार से बाहर होना और संभावित परिणाम
अगर अमेरिका ईरान परमाणु संधी से बाहर हो जाता हैं, तो ओबामा प्रशासन के दौरान उठाये गए प्रतिबंधों को फिरसे लागु किया जा सकता हैं
कच्चा तेल
- अगर अमेरिका प्रतिबंधों को फिरसे लागु करत हैं तो, ईरान के कच्चे तेल निर्यात में भारी गिरावट आ सकती हैं। इस निर्णय का सीधा असर भारत पर पडेगा, भारत ईरान से कच्चा तेल आयात करता हैं। अगर प्रतिबंध लागु होते हैं तो भारत को इस विषय में परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं।
- विश्व में कच्चे तेल की कुल मांग के एक हिस्से की आपूर्ति ईरान करता हैं। ईरान, भारत-चीन जैसे देशों की उर्जा जरूरतों को पूरा करता हैं। अगर प्रतिबंध लागु होते हैं तो अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमते 11 प्रतीशद से बड जाएँगी।
व्यापार
- ओबामा प्रशासन के दौरान प्रतिबंधो के उठाये जाने के बाद कई विदेशी कम्पनीयों ने ईरान में कई बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया हैं। अगर ट्रम्प प्रतिबंधों को लादते हैं, तो निवेशकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
- प्रतिबंधो के दौरान ईरान के कई अकाउंट फ्रीज़ किये गए थे, ओबामा प्रशासन के दौरान प्रतिबंधो के उठाये जाने के बाद ईरान को उन अकाउंटौं से पैसे निकालनी की अनुमंती दी गयी थी।
युद्ध की आशंका
- ईरान परमाणु संधी से अमेरिका के बाहर होने से, ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम की ओर फिरसे बढ़ सकता हैं। इससे मध्य पूर्व में युद्ध जैसे हालात बन जायेंगे।
- इजराइल और सऊदी अरब दोनों ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी कर उन्हें नष्ट करने के पक्ष में हैं।
- बीते दिनों में ईरान का मध्य पूर्वी देशों पर प्रभाव बढ़ रहा हैं, इससे अमेरिका और उसके मध्य पूर्व के सहयोगी देश चिंतित हैं
इन अपेक्षित परणामों के मद्देनजर अमेरिका का इस संधी से बाहर होना घातक साबित हो सकता हैं। डोनाल्ड ट्रम्प की इस विषय में रे बदलने के लिए फ़्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रॉन और जर्मन चांसलर मर्केल भी ट्रम्प से मुलाकात कर चुकी हैं।
रूस, चीन जैसे सहयोगी देशों ने अमेरिका को इस संधी से बाहर ना होने की चेतावनी दी हैं। आशा हैं की 12 मई को ट्रम्प, अमेरिका के इस संधी से बाहर होने का एलान न करें।