अमेरिका और ईरान के मध्य तनाव में वृद्धि होती जा रही है। मार्च में ईरान की नौसेना अटलांटिक सागर पर युद्धपोतों की तैनाती करेगी। ईरान ने अपनी नौसेना की गतिविधियों को अमेरिका के नजदीकी इलाकों में बढाने का फैसला लिया है। ईरान के मुताबिक खाड़ी में अमेरिकी एयरक्राफ्ट की तैनाती चिंता का विषय है और कहा कि अब उनकी नौसेना इसकी प्रतिक्रिये के लिए अमेरिका के नजदीक समुंद्री इलाकों में अपने परचम लहराएगी।
नौसेना के डिप्टी कमांडर ने कहा कि ईरान के नव वर्ष यानी मार्च से नौसेना का जंगी बेड़ा अटलांटिक के लिए रवाना कर दिया जायेगा। एडमिरल तौराज हस्सानी ने कहा कि अटलांटिक महासर काफी दूर है और नौसेना के इस अभियान को पूरा करने में पांच वर्षों का समय लग सकता है।
उन्होंने कहा कि नव निर्मित विध्वंशक सहंद, इन जंगी जहाजों में से एक होगा। ईरान ने कहा कि सहंद में एंटी एयरक्राफ्ट एंटी शिप बंदूके, सरफेस टू एयर मिसाइल और एयर टू सरफेस मिसाइल के उपकरण भरे होंगे। हस्सानी ने दिसम्बर में कहा था कि वेनुजुएला अभियान के लिए ईरान दो या तीन जंगी जहाजों को भेजेगा।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बीते माह कहा था कि नौसेना अमेरिकी जलीय इलाके के नजदीक गश्त कर सकती है, जैसे अमेरिकी जहाजों को ईरान के नजदीक अंतर्राष्ट्रीय जलीय इलाकों की अनुमति मिली थी। बीते कुछ वर्षों में ईरानी नौसेना ने अपनी पंहुच को बढ़ाया है। ईरान ने अपने जहाजों को सोमाली समुंद्री लुटेरों से संरक्षण के लिए हिन्द महासागर और अदेन की खाड़ी में जहाजों की तैनाती की है।
सैन्य अधिकारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जल में अपनी उपस्थिति में वृद्धि के लिए ईरानी सेना का मकसद अपने कमांडर इन चीफ अयातुल्ला अली खामेनी की आदेशों का पालन करना है। उन्होंने कहा कि ईरानी ध्यज को फहराना, ईरान से भय को विफल करना और शिपिंग मार्गों को सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।
ईरान ने हाल ही में कहा था कि अगर अमेरिका उन्हें तेल निर्यात करने पर पाबंदी लगाएगा, तो वह किसी क्षेत्रीय देश को तेल निर्यात करने की अनुमति नहीं देंगे, खाड़ी के सभी मार्गों को बंद कर देंगे।