अमेरिका ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में ईरान को आतंकवाद का अग्रणी देश बताया। वांशिगटन ने ईरान पर इल्ज़ाम लगाया कि उसने अमेरिका में सन्दिग्ध लोग भेजे।
सालाना जारी रिपोर्ट में अमेरिका ने बताया कि मिडिल ईस्ट, यूरोप, साउथ अमेरिका और अफ्रीका में आतंकी हमलों के लोए ईरान और उसके निकटतम समूह शामिल है।
ईरान अपने क्षेत्र में आतंक को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
ईरान ने जवाब में इन आरोपों को निराधार बताते हुए अमेरिका पर ईरानी इलाके में अस्थितिरता पैदा करने का आरोप लगाया।
हाल ही में अमेरिका ने साल 2015 में कई गई परमाणु संधि तोड़ दी थी। इसके बाद अमेरिका ने ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।
मसलन नवंबर में तेल पर प्रतिबंध लगाया। इस प्रतिबंध के बाद अमेरिका ने अन्य देशों को चेतावनी दी कि वह ईरान से तेल न खरीदे।
तेल खरीदने वाले देशों पर अमेरिका ने दबाव बनाने के लिए कहा कि अगर देश बाज नही आएंगे तो वांशिगटन व्यापार पर प्रतिबंध लगा देगा।
हिंडन इंस्टिट्यूट ने बताया कि ईरानी अधिकारियों ने अमेरिका से बातचीत करने के लिए कोई दिलचस्पी नही दिखायी जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति और विदेह मंत्री ईरानी समकक्षों से वार्ता इच्छुक हैं।
ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी और विदेश मंत्री अगले माह संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेंगे।
वर्ष 1984 में ईरान को आतंकवाद का गढ़ घोषित किया था जिसमे नार्थ कोरिया, सूडान और सीरिया शुमार है।
रिपोर्ट के अनुसार ईरान लेबनान के उग्रवादी समूह को आर्थिक सहायता मुहैया करती है। हालांकि पिछले साल आतंवादी गतिविधियों में कमी आई है।
रिपोर्ट में बताया है कि इस्लामिक स्टेट सीरिया और इराक के अधितकर क्षेत्रों में अधिकार खो चुका है। रिपोर्ट में दावा किया है कि अल कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे समूहों की वजह से आतंकवाद से लड़ना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रकाशित एक नोटिस में कहा कि आपातकाल के दायरे को एक वर्ष ओर बढ़ाया जा रहा है।
ट्रम्प ने कहा अमेरिका की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को आतंकवाद से खतरा है।