ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका पर वैश्विक आतंकवाद का असल सरगना होने के आरोप लगाए हैं। हाल ही वांशिगटन ने तेहरान की रेवोलुशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकी संगठन का दर्जा दिया था। ईरान ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए मध्य एशिया ने अमेरिकी सैनिकों को आतंकी समूह घोषित कर दिया था।
ईरान का बयान
वांशिगटन के कदम का सऊदी अरब और इजराइल ने स्वागत किया है। यह पहली बार है जब अमेरिका ने किसी दुसरे देश की सेना को आतंकी संगठन का तमगा दिया है। ईरान की सेना के साथ सौदेबाज़ी करने वाले को अमेरिका में जेल की सज़्ज़ा हो सकती है।
स्थानीय मीडिया में हसन रूहानी ने कहा कि “रेवोलूशनरी संस्थान को आतंकी का दर्जा देने वाले तुम कौन होते हो? सेना की स्थापना के साथ ही वह आतंकवाद से लड़ रहे हैं।” उन्होंने अमेरिकी सेना पर हमेशा आतंकवादियों के साथ संलिप्त होने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि “तुम आतंकी समूहों का इस्तेमाल इस क्षेत्र के राष्ट्रों के खिलाफ करते हो। तुम वैश्विक आतंक के सरगना हो। आज के विश्व में कौन आतंकवाद को प्रोत्साहित और प्रचार करता है। कौन इस्लामिक स्टेट का इस्तेमाल करता हैं? अमेरिका जिहादी संगठनों के नेताओं को छिपा रहा है।”
अमेरिका आतंक का प्रचारक
ईरान की सेना की विचाधारा रेवोलूशनरी गुआड़स से जुडी हुई है और उनका देश की आर्थिक और राजनीतिक मसलों में काफी प्रभुत्व है। ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला खमेनेई ईरान के नेशनल डे पर गार्ड्स की सराहना की थी और कहा कि देश की रक्षा और हितो के लिए वह फूटफ्रंट पर रहते हैं।
हसन रूहानी ने कहा कि “जुलाई साल 1988 में अमेरिकी नौसैन्य जहाज ने ईरान एयर फ्लाइट 655 पर मिसाइल दागी थी। तुमने हर काल्पनिक चीज की है जिसकी सेना ने एक एयरलाइन पर निशाना साधकर पर्शियन खाड़ी में गिरा दिया था। वह ईरान को डराने की योजना थी। तुम ईरानी राष्ट्र को बताना चाहते थे कि तुम्हारे लिए को रेड लाइन नहीं है। तुम बताना चाहते थे कि तुम बच्चों और महिलाओं को मार सकते हो। अमेरिकी समस्त विश्व में आतंकवाद के सन्देश का प्रचारण कर रहा है।”
साल 2015 में हुई परमाणु संधि को अमेरिका द्वारा तोड़ने के बाद दोनों देशो के मध्य तनाव काफी बढ़ गया है। ईरानी गार्ड्स को आतंकी संगठन करार देने से अमेरिका उन पर अतिरिक्त प्रतिबन्ध लगा सकता है। इजराइल के प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतान्याहू ने इस प्रतिबंधों के लिए अमेरिका को शुक्रिया कहा है।
सऊदी विदेश मंत्रालय के हवाले से स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने लिखा कि “अमेरिका के निर्णय ने सऊदी अरब की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लम्बे समय से जारी मांग का पालन किया है जो ईरानी समर्थित आतंकवाद का मामला था।”