भारत की मायानगरी मुंबई में 26/11 आतंकी हमले की दहशत अभी भी जिन्दा है क्योंकि इस हमले को अंजाम देने वाले सरगना अभी भी पाकिस्तान की सड़कों पर खुले आम घूम रहे हैं। इजराइल ने 26/11 हमले की 10 वीं सालगिरह पर कहा कि पाकिस्तान की सरकार इस हमले के पीड़ितों का न्याय सुनिश्चित करें। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे जिसमे छह इजराइल के थे।
इजराइल में भारतीय मिशन द्वारा आयोजित समारोह में इजराइल के विदेश विभाग के निदेशक माइकल रोनेन ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए बेहद जरुरी है, विशेषकर पाकिस्तान की लिए कि इस हमले के पीड़ितों के न्याय सुनिश्चित करे और इस घृणित हमले के साजिश करने वालों को आज़ाद घूमने न दें।
रोनेन ने कहा कि हमले में पीड़ितों और उनके परिवारों को पूर्ण न्याय दिलाना आवश्यक है। इजराइल के राजदूत ने इस हमले के कारण भारत की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक नुकसान हुआ है। साथ ही भारत और इजराइल के बढ़ते द्विपक्षीय सम्बन्ध भी इस हमले कारण प्रभावित हुए थे। उन्होंने कहा कि यह आतंकी हमला बुरी तरह विफल हुआ है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में निरंतर वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को केवल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से ही मात दी जा सकती है।
इस समारोह में इजराइल में भारतीय समुदाय के सभी सदस्य उपस्थित थे। इस आतंकी हमले में अपनी बेटी रिवाका और दामाद रबी गव्रिल को नरीमन हाउस हमले में गंवाने वाले रबी शिमोन रोसेंबेर्ग भी इस समारोह में उपस्थित थे। इस हमले में इस जोड़े के दो वर्षीय बच्चे मोशे को उसकी आया की समझदारी के कारण एक नई जिंदगी मिली थी। आया ने अपनी जान को डाव पर लगाकर दो वर्षीय बच्चे को सुरक्षित किया था।
एक छोटे बच्चे को अपनी गोद में उठाये हुए सांद्रा की तस्वीरों ने दुनिया के लाखों लोगों के दिलों को छू गयी थी। उन्हें इजराइल की साकार द्वारा बाद मे गौरवान्वित नागरिक की उपाधि से नवाज़ा गया था।
इस समारोह की शुरुआत पीड़ितों के सामन के लिए एक मिनट के मौन के साथ हुई थी। इजराइल में नियुक्त भारतीय राजदूत ने कहा कि यह भारत की सरजमी पर सबसे ख़राब आतंकी हमला था। यह सन्देश देता है कि आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना चाहिए और नफरत की विचारधारा को मात देनी चाहिए।