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    hardeep singh puri

    अमृतसर, 11 मई (आईएएनएस)| राजनयिक से केंद्रीय मंत्री बने हरदीप सिंह पुरी अमृतसर में अपने ‘बाहरी’ व्यक्ति होने के चुनाव ‘टैग’, मतदाता की उदासीनता और स्थानीय पार्टी इकाई में आंतरिक कलह से जूझ रहे हैं।

    वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता अरुण जेटली और पंजाब कांग्रेस के कप्तान अमरिंदर सिंह के बीच हुए हाई-प्रोफाइल मुकाबले के विपरीत, इस बार ‘पवित्र शहर’ में प्रतियोगिता को लेकर इतना कुछ नहीं बोला जा रहा है।

    पुरी का मुकाबला कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला से है, जो एक अपेक्षाकृत कनिष्ठ नेता हैं, अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2017 में अमृतसर सीट पर हुए उपचुनाव में औजला ने जीत दर्ज की थी।

    औजला अपने चुनावी भाषणों में अमृतसर के लोगों के साथ अपने स्थानीय संपर्क की बात जरूर उठाते हैं। औजला दो साल पहले सांसद वुने गए थे। इससे पहले वह सिर्फ एक पार्षद थे।

    शुक्रवार दोपहर को शहर के बीचो-बीच लाहौरी गेट इलाके में एक जनसभा को संबोधित करते हुए औजला ने कहा कि वह उन्हीं में से एक हैं, जबकि पुरी जेटली की तरह चुनाव के बाद फिर कभी नहीं दिखाई देंगे।

    उन्होंने भीड़भाड़ वली सड़क पर जनसभा में लोगों से कहा, “मैं यहां आपके साथ हूं। आपने मुझे देखा है, आप मुझे जानते हैं। मैं संसद में आप लोगों की लड़ाई लंड़ूगा।”

    पुरी शास्त्री नगर में लॉरेंस रोड के पास अपने घर से बाहर काम कर रहे हैं।

    फतेहगढ़ साहेब के सांसद हरिंदर सिंह खालसा आम आदमी पार्टी (आप) को छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के बाद पुरी के साथ मजबूती से खड़े हैं।

    पुरी के एक आईएफएस बैचमेट, बाहर से आए हुए केंद्रीय मंत्री के कई अन्य समर्थकों के साथ अमृतसर में डेरा डाले हुए हैं।

    पार्टी की राज्य इकाई के स्थानीय मंडल में आंतरिक कलह और केंद्रीय मंत्री के खिलाफ जाने वाले कारकों के बारे में चिंतित हैं।

    भाजपा की सहयोगी अकाली दल से समर्थन गायब है। रतन सिंह अजनाला जैसे नेताओं के टकसाली समूह के टूट जाने के बाद, अजनाला के विधानसभा क्षेत्र में पुरी के लिए समर्थन (अमृतसर लोकसभा सीट में नौ विधानसभा क्षेत्रों में से एक) मिलने की उम्मीद है।

    औजला के खिलाफ बड़े अंतर से उपचुनाव हारे भाजपा नेता राजेंद्र मोहन सिंह और अमृतसर उत्तर में स्थानीय नेता श्वेत मलिक व अनिल जोशी के बीच मतभेद चल रहे हैं।

    पुरी के समर्थक ‘बाहरी’ होने के ‘टैग’ से यह कहकर मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं कि ‘गुरु की नगरी’ अमृतसर में कोई भी व्यक्ति बाहरी नहीं है। उन्होंने कहा है कि शुरुआती बाधाओं को सुलझा लिया गया है और अब पुरी के चुनावी अभियान ने गति पकड़ ली है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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