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    इंडिया गेट पर पिछले 50 सालों से जल रही अमर जवान ज्योति की लौ का एक मिलिट्री समारोह के बाद नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ विलय कर दिया गया। देश के कई राज्यों में इस वक़्त विधानसभा चुनावों की सरगर्मी है। ऐसे में इस मुद्दे को लेकर देश की राजनीति सुलग उठी है।

    देश की तमाम विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस ने इसे शहीदों के अपमान करने वाला फैसला बताया है। वहीं, केंद्र सरकार ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाई नहीं जा रही बल्कि इसे नेशनल वॉर मेमोरियल में शिफ्ट किया जा रहा है।

    क्या है इंडिया गेट,अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल का इतिहास….

    इंडिया गेट का निर्माण 1931 में अंग्रेजों द्वारा करवाया गया था। इसका निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध मे शहीद हुए कुल 90000 भारतीय सैनिक और कुछ अंग्रेजी अफसरों के याद में किया गया। तब इंडिया गेट को “ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल” के नाम से जाना जाता था।

    उसके बाद 1972 में (1971 के भारत-पाक युद्ध में विजय के बाद) इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा 1947, 1965, और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए तीन युद्ध और 1962 के भारत-चीन युद्ध मे शहीद हुए जवानों के सम्मान में इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति का निर्माण कराया गया और तब से आज तक इसकी लौ लगातार प्रज्ज्वलित रही है।

    2014 में भारी जनमत से जीतकर आने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इंडिया गेट से कुछ ही दूरी पर आज़ाद भारत के इतिहास में देश की रक्षा के लिए शहीद हुए सभी जवानों की याद में नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण करवाया जिसे 2019 में प्रधानमंत्री ने देश को समर्पित किया।

    …क्यों किया गया विलय?

    1972 में 26 जनवरी के दिन जब अमर जवान ज्योति को प्रज्ज्वलित किया गया था, उस वक़्त देश मे आजाद भारत के पास कोई अपना वॉर मेमोरियल नहीं था। परंतु आज देश के लिए तमाम जंगो में शहीद हुए जवानों के सम्मान में नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण हो चुका है और देश के नाम इसको समर्पित भी किया जा चुका है।

    ऐसे में 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद वीर सपूतों की याद में बनी अमर जवान ज्योति की लौ का नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ विलय का फैसला कोई आश्चर्यजनक फैसला नहीं है।

    फिर इतना विवाद क्यों है….

    भारत दुनिया का एक ऐसा लोकतंत्र है जहाँ हर मौसम कोई ना कोई चुनाव होते रहता है। ऐसे में सत्तारूढ़ दल के हर फैसले को विपक्षी दल राजनीतिक रंग में ढालने की हरसंभव कोशिश करते हैं।

    इस समय केंद्र की सत्ता भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हाँथो में है। राष्ट्रवाद बीजेपी की राजनीति का एक अहम हिस्सा रहा है।
    साथ ही अगले महीने 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव है। इन 5 राज्यों में बीजेपी लगभग हर जगह प्रमुख पार्टी के तौर पर चुनावी मैदान में है। ऐसे में अमर जवान ज्योति का इंडिया गेट से बुझाया जाना और उसे शिफ्ट किये जाने के फैसले पर विपक्षी दलों को सत्तारूढ़ भाजपा पर राजनीतिक हमला करने एक बेहतरीन मौका मिल गया है।

    कांग्रेस की तरफ से राहुल गाँधी ने ट्वीट कर के बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा-  ‘‘बहुत दुख की बात है कि वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा. कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…, हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे।”

    वहीं पंजाब से आने वाले कांग्रेस के ही एक और प्रमुख नेता मनीष तिवारी ने इस निर्णय को इतिहास को मिटाने की एक कोशिश बता दिया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी दलों पर इस मुद्दे को लेकर भ्रांति फैलाने का आरोप लगाया। अपने सफाई में बीजेपी ने कहा कि, अमर ज्योति की लौ को बुझाई नहीं जा रही है बल्कि इसका नेशनल वॉर मेमोरियल के साथ विलय किया जा रहा है ।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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