विषय-सूचि
अभिगृहीत एवं स्वसिद्ध क्या होता है? (axiom and postulate in hindi)
अभिगृहीत(axioms) एवं स्वसिद्ध(postulates) ऐसे गणितीय सत्य है जिन्हें सिद्ध नहीं किया जा सकता है लेकिन इन्हें स्पष्टता से समझा जा सकता है। इनको बिना प्रमाण के ही गणित में स्वीकार कर लिया गया है।
हम जैसा कि जानते हैं गणित में हर चीज़ का एक प्रमाण होता है लेकिन अभिगृहीत एवं स्वसिद्ध ऐसे अपवाद होते हैं जिन्हें बिना किसी प्रमाण के ही स्वीकार लिया गया। ऐसा करने का भी कुछ ना कुछ कारण है जिसे हम आगे पढेंगे।
अभिगृहीत एवं स्वसिद्ध के बीच अंतर (axiom and postulate difference)
हमने ऊपर पढ़ा कि अभिगृहीत एवं स्वसिद्ध दोनों ही ऐसे गणितीय सत्य हैं जिन्हें बिना किसी प्रमाण के स्वीकार गया है। अर्थात हम इन्हें वास्तविकता में सिद्ध नहीं कर सकते हैं। यहाँ तो हमें इनके बारे में समानता का पता चल रहा है लेकिन इनके बीच जो अंतर हैं वे नीचे दिए गए है।
अभिगृहीत मुख्यतः वास्तविक संख्याओं के बारे में अवधारणाएं होती हैं जोकि ज्यामिति में शत प्रतिशत सही होते हैं। इन्हें बीजगणितीय अभिगृहीत भी कहा जाता है।
स्वसिद्ध भी अभिगृहित की तरह सिद्ध नहीं किये जा सकते लेकिन ये मुख्यतः ज्यामिति पर केन्द्रित होते हैं। इनका वास्तविक संख्याओं से कुछ लेना देना नहीं होता है।
जैसा कि आपने ऊपर अब तक पढ़ा कि वैसे तो ये दोनों ही बहुत ही नजदीकी से सम्बंधित होते हैं लेकिन इनमे जो भिन्नता होती है वह हमें पता चल गयी है वह यह है कि जहां अभिगृहीत वास्तविक संख्याओं पर केन्द्रित होते हैं वहीँ स्वसिद्ध ज्यामिति पर केन्द्रित होते हैं।
अभिगृहित एवं स्वसिद्ध के प्रयोग (uses of axiom and postulate in hindi)
- जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा इन्हें सिद्ध नहीं किया जा सकता लेकिन ये कुछ ऐसी अवधारणाएँ हैं जिनसे हम ज्यामिति के मुश्किल चीज़ों को आसानी से हल कर सकते हैं।
- अक्सर अभिगृहीत कथन जो होते हैं वे वास्तविक संख्याओं के बारे में होते हैं। इन्हें कभी कभी बीजगणितीय अभिगृहीत भी कहते हैं। अभिगृहीत कथनों में अक्सर वास्तविक सख्याओं के बारे में जो कहा जाता है वो ज्यामिति में बिलकुल ठीक होते हैं।
- हमने जैसा कि ऊपर स्वसिद्धों के बारे में पढ़ा, ये ज्यादा ज्यामिति की और केन्द्रित होते हैं तो ये हमें ज्यामिति को समझने में काम आते हैं एवं विभिन्न ज्यामितिक आकृतियों में सम्बन्ध बताते हैं।
कुछ अभिग्रिहितों के उदाहरण
- यदि कोई दो चीज़ें किसी एक चीज़ के बराबर हैं तो वे आपस में भी बराबर होंगी।
- यदि किन्हीं बराबर हिस्सों में बराबर हिस्सों को जोड़ा जाता है तो पूर्ण हिस्से बराबर होंगे।
- अगर बराबर में से बराबर हिस्से कम किये जाते हैं तो बचे हुए हिस्से बराबर होते हैं।
- अगर दो हिस्से एक दुसरे को पूरी तरह ढक लेते हैं तो वे बराबर होते हैं।
- एक सम्पूर्ण चीज़ एक हिस्से से बड़ी होती है।
कुछ स्वसिद्धों के उदाहरण:
- एक सीधी रेखा किसी भी एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक खींची जा सकती है।
- एक रेखा जो एक बिंदु पर ख़त्म हो रही है अर्थात रेखा खंड उसे कितनी भी आगे बढ़ाया जा सकता है।
- एक वृत्त किसी भी मध्य बिंदु से कितनी भी त्रिज्या का बनाया जा सकता है।
- सभी समकोण एक दुसरे के बराबर होते हैं।
- यदि किन्हीं दो सीढ़ी रेखाओं को एक सीधी रेखा काट रही है एवं भीतरी दो कोणों का योग 180 से कम है तो अगर हम उन दोनों सीढ़ी रेखाओं को आगे बढ़ाएंगे तो उनके मिलने पर जो कोण बनेगा वह 180 अंश से कम का होगा।
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