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    अब तक के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड में फंसा ABG शिपयार्ड,CBI ने दर्ज की फिर

    एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) और उसके निदेशकों ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भारत के अब तक के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में बुक किया है। उन पर 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया है।एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard Ltd) एक ऐसी कंपनी है जो जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत करती है और एबीजी समूह (ABG Groups) की प्रमुख कंपनी है।

    भारतीय स्टेट बैंक की सीबीआई द्वारा दर्ज की एक शिकायत के अनुसार, ABG Shipyard पर बैंक का ₹2,925 करोड़, ICICI बैंक का ₹7,089 करोड़, IDBI बैंक का ₹3,634 करोड़, बैंक ऑफ़ बड़ौदा का ₹1,614 करोड़, PNB का ₹1,244 करोड़ और IOB का ₹1,228 बकाया है। सीबीआई ने यह भी सूचना दी कि इन पैसों का इस्तेमाल बैंकों द्वारा जारी किए गए उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए भी किया गया था।

    SBI बैंक ने सबसे पहले 8 नवंबर, 2019 को शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च, 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। बैंक ने उस साल अगस्त में फिर से एक नई शिकायत दर्ज की थी।सीबीआई ने करीब डेढ़ साल से अधिक समय लेकर अच्छे तरीके से “जांच” की और फिर 7 फरवरी, 2022 को दर्ज हुयी FIR पर कार्रवाई शुरू की।

    CBI ने FIR में आरोप लगाते हुए कहा है,”मैसर्स अर्न्स्ट एंड यंग LP द्वारा प्रस्तुत फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट दिनांक 18.01.2019 से पता चला है कि आरोपियों की एक साथ मिलीभगत है और आरोपियों ने धन के दुरुपयोग, दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वासघात सहित अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया है। यह रिपोर्ट अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 की अवधि कवर करती है। आरोपियों ने जिस उद्देश्य के लिए बैंक द्वारा धन अर्जित किया था, उसे छोड़कर उन्होंने इस धन को प्रयोग और कई जगह भी इस्तेमाल किया है।” CBI का कहना है कि ABG Shipyard ने धोखाधड़ी “बैंक के धन की कीमत पर अवैध रूप से लाभ कमाने के लिए”, धन के दुरुपयोग, हेराफेरी और आपराधिक विश्वासघात के माध्यम से की है।

    CBI द्वारा दर्ज की गयी FIR में कहा गया है,”वस्तुओं की मांग और कीमतों में गिरावट और बाद में कार्गो मांग में गिरावट के कारण वैश्विक संकट ने शिपिंग उद्योग को प्रभावित किया है। कुछ जहाजों/जहाजों के अनुबंधों को रद्द करने के परिणामस्वरूप इन्वेंट्री का ढेर लग गया। इसके परिणामस्वरूप कार्यशील पूंजी की कमी हुई है और परिचालन चक्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे liquidity की समस्या और Financial Problems बढ़ गई। Commercial Vessels की कोई मांग नहीं थी क्योंकि उद्योग में 2015 में भी मंदी थी। साथ ही 2015 में कोई नया रक्षा आदेश जारी नहीं किया गया था जिससे कंपनी को सीडीआर में परिकल्पित टारगेट को हासिल करने में बहुत मुश्किल हो रही थी। अतः कंपनी तय तारीख पर ब्याज और किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ थी।

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