भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच प्रत्यक्ष वार्ता का समर्थन किया है। अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनावों का आयोजन होने वाला है। भारत ने मंगलवार को कहा कि “शान्ति और सुलह प्रक्रिया आतंकवाद के माहौल में आगे नहीं बढ़ सकती है।
तालिबान-अफगानी सीधे वार्ता करे
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबर्रुद्दीन ने कहा कि “किसी भी समझौते को अफगानी जनता ही अमल में लाएगी और इसके परिणाम को भी भुगतेगी। समावेशी और लोकतान्त्रिक तरीके से ही स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सकता है। हम महासचिव की तालिबान और अफगान सरकार के बीच सीधे बातचीत का समर्थन करते हैं।”
काबुल में अमेरिकी दूतावास परिसर के बाहर आतंकी विस्फोट के बाबत राजदूत ने कहा कि “हाल ही के दिनों में अफगानिस्तान में हिंसा काफी बढ़ गयी है, इसमें चुनावी प्रक्रिया को खतरा होना भी शामिल है। आतंकी हमलो का इस्तेमाल वार्ता प्रक्रिया में फायदे के लिए किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान की जनता ने इस वर्ष आज़ादी की सौंवी वर्षगाठ का आयोजन किया और उनका देश अभी भी एक नए परिवर्तन की राह पर खड़ा है।” अफगान सरकार ने दोहराया कि वह राष्ट्रपति चुनावो का आयोजन 28 सितम्बर को करेगी और जारी वार्ता प्रक्रिया में समझदारी और यथार्थता के साथ आगे बढ़ेगी।
अकबरुद्दीन ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानी सुरक्षा सेना से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की जरुरत है और साथ आतंकवादियों की सुरक्षित पनाह को उजागर करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “आतंकवाद के पीड़ित होने के कारण हम समझते हैं और अपने अफगान दोस्तों के दर्द के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हैं। राजदूत ने दोहराया कि भारत मानव संसाधन विकास के जरिये अफ़ग़ान जनता के सहयोग की प्रतिबद्धता पर कार्य करेगा।”
उन्होंने कहा कि “अफगान जनता ने लोकतंत्र को मज़बूत किया है, एक संवैधानिक व्यवस्थता की स्थापना, युवाओं और अल्पसंख्यको के अधिकारों और कल्याण का प्रचार, एक मज़बूत और अधिक सक्षम सुरक्षा सेना का निर्माण और क्षेत्रीय जुड़ाव को गहरा किया है।”