रूस ने अफगानिस्तान के आतंकी समूह तालिबान से शांति वार्ता के लिए एक बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक में अफगानिस्तान के उच्च शांति परिषद के अधिकारियों ने तालिबान के साथ बातचीत की थी। तालिबान और अफगानिस्तान के मध्य सुलह प्रक्रिया के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दूसरी बैठक थी।
खबरों के मुताबिक बीते माह शांति वार्ता के लिए तालिबान ने अमेरिका के राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद के साथ मुलाकात की थी। आयोजित दोनो बैठकों में अफगान सरकार सम्मिलित नही हुई थी। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शांति को प्रतिबद्धता दिखाई थी और कड़े कदम उठाने का वादा किया था। राष्ट्रपति गनी ने तालिबान के साथ शांति की बातचीत के लिए के बार प्रयास किया था।
इस बैठक से पूर्व अफगान विदेश मंत्रालय ने इस आयोजन पर असंतोष जताया था। उन्होंने बताया कि अफगान सरकार ने इस बैठक में आधिकारिक प्रतिनिधियों को नहीं भेजा हैं।
उन्होंने बताया कि धार्मिक और राजनीतिक स्वतंत्र संस्थान उच्च शांति परिषद ने इन बैठक का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा की हमारा रूस के साथ समझौता है कि वे अफगान सरकार और तालिबान के मध्य सीधा बातचीत करेंगे।
तालिबान ने दोहराया कि यह बैठक बातचीत के लिए नहीं थी। तालिबान ने बताया कि अफगान में शांति के लिए अमेरिकी सेना कप हटाना होगा।
रूस और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। भारत को भी इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रण दिया था। भारत ने इस सम्मेलन में गैर आधिकारिक स्तर पर प्रतिनिधि समूह को भेज था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि भारत अफगानिस्तान से संबंधित सभी शांति वार्ताओं में शरीक होगा। शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने शिरकत की थी।
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के राजदूत इस शांति वार्ता को समर्थन करने के लिए मॉस्को में उपस्थित है और यह संकेत है कि क्षेत्रीय शांति के लिए दो देश नज़दीक आ रहे हैं।