अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि देश के 45000 सैनिक साल 2014 से शहीद हुए हैं। अशरफ गनी को सत्ता साल 2014 में ही मिली थी। यह आंकड़े पूर्व में जारी किये आंकडं से कही अधिक है। बीते वर्ष अशरफ गनी ने कहा था कि साल 2015 से 28000 सैनिक मारे गए हैं।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मृतक सैनिकों की संख्या 72 से भी कम है, इससे पता चलता है कि हकीकत में कौन युद्ध लड़ रहा है। अमेरिकी और तालिबान के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की मुलाकात के बाद उन्होंने यह आंकड़े जारी किये हैं। अफगानिस्तान के प्रमुख चरमपंथी समूह तालिबान ने गुरूवार को कहा कि उनकी अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात हुई ताकि 17 साल से जारी संघर्ष का खात्मा हो सके।
स्विट्ज़रलैंड के दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की बैठक में उन्होंने कहा कि “मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद 45 हज़ार सैनिकों ने अपने जीवन की कुर्बानी दी हैं। हमें एक स्थिर अफगानिस्तान की जरुरत है जो अमेरिका, यूरोप की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सके और दूसरी तरफ हमारे खुद के लोकतान्त्रिक अधिकार और संस्थान हो।”
तालिबान सैन्य शिविरों को निशाना बनाकर तालिबान हमले को अंजाम देता रहता हैं। आंकड़ों के मुताबिक रोजाना सेना में 30 सैनिकों की मौत होती है। कुछ दिनों पूर्व ख़ुफ़िया प्रशिक्षण केंद्र में आतंकियों ने हमला कर दिया था और 40 से अधिक सैनिकों को मार दिया था। यह भयावह हमला राजधानी काबुल से 50 किलोमीटर की दूरी पर हुआ था।
तालिबान को लगता है कि पासा उनके पाले में है और साल 2014 में अफगानी सरजमीं से विदेशी कोम्बेक्ट सैनिकों को बाहर निकालने के बाद उनके नियंत्रण में ख़ासा इजाफा हुआ है। प्रान्तों के विशाल इलाके मसलन कांधार और हेलमंद में सैकड़ों अमेरिकी, ब्रितानी और अन्य मुल्कों के सैनिक मारे जाते हैं, यह इलाके अब तालिबान के नियंत्रण में हैं।
इस हिंसक माहौल में आम नागरिक भी हताहत हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक साल 2017 में 10 हज़ार से अधिक नागरिकों की मृत्यु व वे घायल हुए हैं।