अफगानिस्तान (afghanistan) ने इस वर्ष सितम्बर में चौथी दफा राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपनी कमर कस ली है। भारत ने यूएन में अफगान नेतृत्व और अफगान नियंत्रित समवेशी शान्ति और सुलह प्रक्रिया के समर्थन को दोहराया है। भारत के यूएन में स्थायी सदस्य सैयद अकबरुद्दीन (Syed Akbaruddin) ने यूएन सुरक्षा परिषद् में अफगान मामले में हो रही ओपन डिबेट में बुधवार को भारत का शान्ति प्रक्रिया को समर्थन को दोहराया था जो देश में एकता, सम्प्रभुता, लोकतंत्र, समवेशी और समृद्धता का प्रचार और संरक्षण करता है।”
अकबरुद्दीन ने कहा कि “अफगानिस्तान की जनता देश में आतंकवाद की पीड़ित रही है। कई आतंकी संगठनों के कारण अफगानिस्तान अस्थिर राजनीतिक, सामाजिक और सुरक्षा हालातो से जूझ रहा है, इसमें तालिबान और इस्लामिक स्टेट भी है। इन आतंकी समूहों को मुहैया की गयी पनाह और सुरक्षित ठिकानों क्षेत्र में वास्तविक शान्ति के लिए नष्ट करने की जरुरत है।”
अफगानिस्तान की जनता के लिए यह बेहद महत्वपूर्व वर्ष है। इस वर्ष के अंत में अफगान ने चौथे राष्ट्रपति चुनावो के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। अफगानी जनता ने जो भी बीते 18 वर्षों में कमाया है हमें उस पर ध्यान रखने की जरुरत है। अफगानी जनता ने अपने लोकतंत्र को मज़बूत किया है, संवैधानिक आदेश को स्थापित किया है। महिलांओं की स्थिति में अल्पसंख्यकों और युवाओं को सुरक्षा मुहैया की गयी है।
उन्होंने कहा कि “एक मज़बूत सेना और मज़बूत सुरक्षा बल के साथ ही मज़बूत क्षेत्रीय बनाये हैं। भारत अफगानिस्तान की जनता के देश में शान्ति की इच्छा को पूरा करने में सहयोग करना जारी रखेगा। जिससे विकास पर फोकस होगा और वे समृद्धता और उच्च उपलब्धियों की तरफ सफर की शुरुआत करेंगे।”
उन्होंने कहा कि “पारदर्शी, विश्वसनीय और समय पर राष्ट्रपति चुनावो का आयोजन उनके प्रयासों को सहयोग करेगा।” अकबरुद्दीन ने 29 अप्रैल को राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा आयोजित लोया जिगरा पर भी बातचीत की थी। इस समारोह में मानवधिकार, विशेषकर महिलाओं के अधिकार बात बातचीत की गयी थी।