चीन ने एक बार फिर उसकी महत्वाकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर अप्रत्यक्ष तौर पर भारत पर निशाना साधा है।
चीन ने बीजिंग में आयोजित अफगानिस्तान–पाकिस्तान-चीन की विदेश मंत्रियों की बैठक के एक दिन बाद कहा कि अफगानिस्तान में सीपीईसी का विस्तार होने से भारत के हितों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (भारत चीन सम्बन्ध)
अफगानिस्तान में सीपीईसी भारत के खिलाफ नहीं है। साथ ही चीन ने कहा है कि किसी ‘तीसरे देश’ को इस प्रोजेक्ट को प्रभावित नहीं करना चाहिए। चीन के तीसरे देश कहने का मतलब भारत से ही है।
भारत का नाम लिए बगैर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि सीपीईसी प्रोजेक्ट के अफगानिस्तान में विस्तार से तीसरे देश को कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
सीपीईसी का अफगानिस्तान तक विस्तार किए जाने को लेकर भारत की चिंताओं के बारे मे जब सवाल किया गया तो चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि ये प्रोजेक्ट किसी तीसरे देश द्वारा निर्देशित नहीं है। सीपीईसी परियोजना समान रूप से तीनों देशों के समान हितों की पूर्ति करती है।
सीपीईसी से जुड़कर अफगान की अर्थव्यवस्था होगी विकसित
आगे कहा कि किसी भी तीसरे देश को संवाद या सहयोग को प्रभावित नहीं करना चाहिए और परेशान भी नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट पीओके से होकर गुजरने वाला है जिस पर भारत ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई थी।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि सीपीईसी एक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम है और इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। सीपीईसी का क्षेत्रीय विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद पूरे क्षेत्र को लाभ प्राप्त होगा।
अफगानिस्तान भी पड़ोसी देश होने के नाते अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करना चाहता है। इसलिए वो भी सीपीईसी में शामिल होने को तैयार है। सीपीईसी के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य, मानव संसाधन और कृषि जैसे क्षेत्रों में अफगानिस्तान को मदद पहुंचायी जाएगी।
तीन देशों के विदेश मंत्रियों की हुई थी बैठक
गौरतलब है कि चीन 50 अरब डॉलर की सीपीईसी योजना को अफगानिस्तान में विस्तार किए जाने की पेशकश विदेश मंत्रियों की बैठक में कर चुका है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ व अफगानिस्तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी के साथ बैठक में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सीपीईसी के साथ ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने की अपील की थी।
इसके अलावा पाकिस्तान व अफगानिस्तान के बीच में शांतिपूर्वक तरीके से वार्ता किए जाने पर सहमति बनी थी।