अमेरिका, चीन और रूस के प्रतिनिधियों ने आम सहमति कर ली हैं और संयुक्त रूप से अफगानी सरजमीं से व्यवस्थित और जिम्मेदाराना रवैये से विदेशी सैनिको को बाहर निकालने की मांग की है और यह समावेशी अफगान नेतृत्व और अफगान नियंत्रित शान्ति प्रक्रिया का भाग है।
अमेरिका, रूस, चीन की बातचीत
अमेरिकी राज्य विभाग की शुक्रवार को जारी संयुक्त बयान में कहा कि “तीनो पक्षों ने अफगान तालिबान से शान्ति वार्ता में शामिल होने का आग्रह किया है, अफगान प्रतिनिधि समूह के सदस्यों के साथ जल्द बैठक हो, जिसमे अफगानी सरकारी अधिकारी भी शामिल है।” 25 अप्रैल को मॉस्को में अमेरिका, चीन और रूस की त्रिपाकक्षीय बैठक हुई थी।
चीन के विशेष राजदूत डेंग क्सीजन, रुसी अध्यक्षीय प्रतिनिधि ज़मीर कबुलोव और अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद ने मॉस्को की बैठक में शिरकत की थी। ख़लीलज़ाद ने ट्वीटर पर कहा कि “हमारे कल के चीन और रूस से हुए समझौते से हम इस आम सहमति पर पंहुचे हैं कि अफगानिस्तान से जंग को खत्म किया जाए और सुनिश्चित करे कि दोबारा अफगानी सरजमीं पर आतंकवाद न पनपे।”
उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान में 18 वर्षों की जंग को खत्म करने के लिए आम सहमति मील का पत्थर है।” बयान के मुताबिक, तालिबान ने आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट, अल कायदा और अन्य अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों से लड़ने की प्रतिबद्धता दिखाई है।
अफगान सरकार-तालिबान की जल्द बातचीत
बयान के अनुसार, तालिबान ने वादा किया है कि उनके नियंत्रण के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जायेगा। साथ ही उन्हें आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण और फंड मुहैया करने से भी बचने के लिए कहा गया है। तालिबान और अफगानिस्तान एक शान्ति समझौते पर पंहुच गए थे लेकिन इसमें अफगान सरकार शामिल नहीं थी। अफगानिस्तान से अमेरिकी सियनिको की वापसी के दौरान दोनों पक्षों के बीच सत्ता साझा करने के फॉर्मूले को अमेरिका और तालिबान नहीं हासिल कर पाया है।
अमेरिका, रूस और चीन ने तालिबान से जल्द से जल्द अफगानी सरकार से वार्ता के लिए तैयार होने का आग्रह किया है। बीते हफ्ते अफगान सरकार के प्रतिनिधियों का क़तर की राजधानी में तालिबान के साथ शांति वार्ता का आयोजन होना था लेकिन यह स्थगित हो गया। बातचीत के लिए अफगानी सरकारी अधिकारीयों ने प्रतिनिधियों का चयन किया था जिस पर तालिबान ने विरोध व्यक्त किया था।