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    अफगानिस्तान

    अफगानिस्तान में शनिवार को चुनावो का आयोजन हुआ था और साल 2004 से इस वर्ष सबसे कम मतदान हुए थे। एक स्वतंत्र निगरानी समूह ने इसके लिए तालिबान की हिंसा और मतदाताओ को हतौत्साहित करने के लिए धोखेबाजी की चिंता को जिम्मेदार ठहराया है।

    अफगानिस्तान की आबादी करीब 3.5  करोड़ है जिसमे सिर्फ 96 लाख लोगो ने ही मतदान के लिए पंजीकरण कराया था। इन चुनावो का आयोजन 4905 मतदान केन्द्रों पर हुआ था। स्वतंत्र निर्वाचन आयोग द्वारा रविवार को जारी आंकड़ो के मुताबिक, 3736 मतदान से आंकड़े जुटाए गए हैं जिसमे सिर्फ 21.9 लाख मतों की ही गणना हो सकी है।

    चुनावो में इस भागीदारी का स्तर करीब 25 प्रतिशत है जो बीते तीन दफा के राष्ट्रपति चुनावो साल 2004, 2009 और 2014 से काफी कम है। पिछले मतदानो में कई केन्द्रों पर घातक हिंसा और बैलट धोखेबाजी का आरोप लगाया था।

    अफगानिस्तान एनालिसिस नेटवर्क की जेलेना ब्जेलिचा और थॉमस रुत्तिंग ने लिखा कि “मतदान में कमी का कारण सिर्फ तालिबान की धमकी ही नहीं है बल्कि मतदाता भी इसने दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।” साल  2014 के चुनावो में  70 लाख से अधिक लोगो ने मतदान किया था।

    तालिबान को हटाने के बाद अफगानिस्तान में आने के तीन साल बाद 75 फीसदी लोग मतदान के लिए आये थे, 90 लाख लोगो ने मतदान किया था और यह एक रिकॉर्ड सेट है। विभागों ने रविवार के चुनावो को सफल करार दिया क्योंकि इसमें तालिबान व्यापक स्तर पर कोई हमला करने में नाकाम हुआ है।

    मतदान केन्द्रों पर भय के मुकाबले लोगो को तकनीकी समस्याओं से परेशानी हुई है। तालिबान ने कई शहरो में बमबारी करने की योजना बना रखी है। चुनाव के दिन ही समस्त राष्ट्र में 400 हमलो को अंजाम देने की रिपोर्ट तय की गयी है।

    तालिबान ने 531 हमलो को अंजाम देने की जिम्मेदारी ली है जबकि अफगानी समूह के मुताबिक 68 हत्याएं की थी ,निर्वाचन आयोग ने 19 अक्टूबर को प्रांतीय चुनावो का परिणाम का ऐलान किया था और 7 नवम्बर को असल परिणाम का ऐलान किया जायेगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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