भारत (India) के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिश्केक में आयोजित संघाई सहयोग संघठन के शिखर सम्मेलन के लिए गुरूवार को पंहुच चुके थे। नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को सुनिश्चित किया कि “लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के जरिये अफगान में एक वैध सरकार के चयन में भारत उनका समर्थन करेगा।”
भारत-अफगान मुलाकात
एससीओ सम्मेलन के इतर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की थी और उनसे वादा किया कि अफगानिस्तान के सभी उम्मीदों को भारत पूरा करेगा। जंग से जूझ रहे देश में तीन चुनावो का आयोजन 28 सितम्बर को होगा, इसमें राष्ट्रपति, प्रांतीय परिषदों और ग़ज़नी संसदीय चुनाव शामिल है।
अफगानिस्तान में चुनाव में दिक्कतों का लम्बा इतिहास है। बीते वर्ष अक्टूबर में आयोजित चुनावो के दौरान तालिबान ने सड़क के किनारे एक बम विस्फोट किया था। यह समस्या मतदाताओं की पहचान के उपकरण की कमी, अधूरी मतदाता सूची और मतदान केन्द्रो में देरी के कारण भी है।
अफगान चुनाव
चुनावो का आयोजन 20 अप्रैल को होना था लेकिन काबुल में स्वतंत्र चुनाव आयोग के दबाव के कारण इसे स्थगित कर दिया गया ताकि प्रभावी मतदान का आयोजन किया जा सके। बांग्लादेश का उदहारण देते हुए पीएम मोदी ने सहयोग की महत्वता को रेखांकित किया था।
वार्ता के दौरान गनी ने शान्ति प्रक्रिया में विकास की सराहना की थी जिसका नेतृत्व अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद कर रहे हैं। खलीलज़ाद तालिबान के साथ कई चरणों की वार्ता को संपन्न कर चुके हैं लेकिन अभी तक दोनों पक्ष किसी समझौते पर नहीं पंहुचे हैं। ठप पड़ी वार्ता को दोबारा शुरू करने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू होगी।
सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं ने पाकिस्तान पर भी चर्चा की थी। राष्ट्रपति गनी ने आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान की संजीदगी पर भी सवाल उठाये थे। अफगानिस्तान और भारत दोनों ही पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाते हैं।
कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले की राष्ट्रपति गनी ने सख्ती से आलोचना की थी। इस आतंकी हमले में 40 जवानो की मृत्यु हुई थी।