अमेरिका के आला सैन्य अधिकारीयों ने बुधवार को कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि अमेरिका अपनी सेना को अफगानिस्तानी सरजमीं से तब तक वापस नहीं बुलाए जब तक देश से चरमपंथ की जड़े खत्म नहीं हो जाती।
अफगानी सरजमीं पर तैनात रहेंगे अमेरिकी सेना
जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल जोसफ डनफोर्ड ने कहा कि “मेरे ख्याल से जब तक अफगानिस्तान से चरमपंथ का खात्मा नहीं जाता हमें वहां से आतंक विरोधी टीम की उपस्थिति को कायम रखने की जरुरत है।” अफगानिस्तान में तालिबानी और अमेरिकी अधिकारीयों के बीच शान्ति वार्ता का दौर जारी है।
अफगानिस्तान में 18 वर्ष की जंग से शान्ति के लिए तालिबान के साथ छठी दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी अधिकारी दोहा में मौजूद थे। बीते नौ महीनो से दोनों पक्षों के बीच बातचीत का सिलसिला जारी है। अमेरिका के विशेष सुलह प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद ने बीते हफ्ते तालिबानी अधिकारीयों से मुलाकात की थी।
अमेरिका और तालिबान के बीच अंतिम समझौता अभी मुक्कमल नहीं हुआ है। अफगानिस्तान में बुधवार को शहर ए नाव क्षेत्र में कॉउंटरपार्ट इंटरनेशनल बिल्डिंग पर एक बंदूकधारी ने हमला किया था।
तालिबान और अमेरिका का प्रस्ताव
अमेरिकी राजदूत ने ट्वीट कर कहा कि “काबुल में आज यूएन के एनजीओ की ईमारत पर तालिबान के आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। निशाना बनायीं गयी संस्था स्थानीय समुदाय, प्रशिक्षित पत्रकारों और अफगानी जनता का सहयोग करती है।”
अफगान सरकार के नियंत्रण या प्रभाव में मई 2017 से जुलाई 2018 में कोई खासा परिवर्तन नहीं आया है और इसमें अक्टूबर 2018 में 63.5 की कमी आयी थी। सरकार का जिलों पर नियंत्राण और प्रभाव में दो फीसदी की कमी आयी थी। अमेरिका की सेना ने साल 2001 में तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका था और इसके बाद उन्होंने खूनी अभियान की शुरुआत की थी।