जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी ने कहा कि भारत को कश्मीर मसले के हल के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना चाहिए। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने बताया, के. राजेंद्र कुमार ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी घाटी के माहौल को बिगड़ेगी और आतंकी समूहों का हौसला बढ़ेगा।
पाकिस्तान को सख्त सन्देश देने की जरुरत
राजेंद्र कुमार ने कहा कि पाकिस्तान का चरमपंथियों के समर्थन को एक कड़ा सन्देश देने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्रतिकार के तौर पर पाकिस्तान को एक सख्त सन्देश देना तो जरुरी है। उन्होंने कहा “इसे पाकिस्तान के लिए अधिक महंगा बनाने की जरुरत है, क्योंकि आज का पाकिस्तान वो दर्द महसूस नहीं कर रहा, जो उसे करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ सख्ती से समझौता करना चहिये, लेकिन प्रशिक्षण शिविर और आतंकी लांचपैड्स चिंता का विषय बने हुए हैं।
अमेरिका का अफगानिस्तान से बाहर निकलना एक परेशानी
अमेरिका भी अब अफगानिस्तान छोड़ रहा है, यह कश्मीर को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ घाटी में इसका प्रभाव दिखने लगेगा।
राजेंद्र कुमार ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी से आतंकी संगठनों का हौसला बढ़ा हुआ महसूस होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर में चरमपंथ स्थानीय आतंकी संगठनों ने शुरू किया था लेकिन अब यह इस्लामिक चरमपंथ की तरफ अग्रसर है।
पूर्व डीजीपी ने कहा कि घाटी का इतिहास सूफीवाद से जुदा हुआ है लेकिन अब यह वहाबियत में बदल रहा है, कश्मीर को वापस सूफीवाद की पटरी पर लाने का प्रयास करना चाहिए।
कश्मीर मसला सुलझाने की हिदायत
कश्मीर की समस्या के अंत के लिए पूर्व डीजीपी ने मशविरा दिया कि राज्य को राष्ट्र विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए कानून सख्त कर देने चाहिए, और एक नीति बनाकर युवाओं को चरमपंथ का मार्ग छोड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस नीति में चरमपंथ का मार्ग छोड़ने वाले युवाओं के लिए रोजगार होना चाहिए और वापस उन्हें दलदल में जाने से रोकने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने राजनीतिक दायरे को बढाने और समाज के सशक्तिकरण का भी मशविरा दिया है। युवाओं को उकसाने के लिए सोशल मीडिया ने भी विनाशकारी भूमिका निभायी है।