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    अमेरिकी सैनिक

    अफगानिस्तान से हजारो सैनिको की वापसी की तैयारी में अमेरिका जुटा हुआ है। 18 वर्षों की जंग को समाप्त करने के लिए तालिबान के साथ हुए समझौते का यह महत्वपूर्ण भाग है। अधिकारीयों के मुताबिक, यह समझौता मुकम्मल हुआ तो अफगानी सरजमीं से 14000  सैनिको की  वापसी होगी।

    तालिबान और अमेरिका अफगानी सरजमीं से अमेरिकी सैनिको की वापसी के समझौते के काफी करीब पंहुच चुके हैं। इस संधि के मुख्य में जंग से जूझ रहे देश से सैनिको की वापसी और इस बदले अफगानिस्तान की सरजमीं पर आतंकवदियों को सुरक्षित पनाह न देने की सुरक्षा गारंटी शामिल है।

    अमेरिकी-अफगानी समझौता

    अमेरिका के विशेष  राजदूत जलमय खलीलजाद ने गुरूवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी के साथ मुलाकात की  थी। मुलाकात के दौरान कुरैशी ने अफगान वार्ता में प्रगति का स्वागत किया था और शान्ति प्रयासों के सफलतापूर्वक परिणाम हासिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाबत कहा था।

    क़तर में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि “एक वर्ष से दोनों पक्ष मेहनत से कार्य कर रहे हैं और एक मसौदे को तैयार किया है जिसमे सभी प्रमुख मसलो को जगह दी गयी है। तालिबानी वार्ताकारो ने अपना काम कर दिया है और अब यह अमेरिकी पक्ष पर निर्भर करता है कि वह वार्ता प्रक्रिया को अगले स्तर पर लेकर जाएँ।”

    तालिबान ने निरंतर राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के साथ सीधे बातचीत के लिए इंकार किया है क्योंकि उनके मुताबिक अफगानी सरकार अमेरिका के हाथो की कठपुतली है।

    तालिबान के प्रमुख वार्ताकार शेर अब्बास स्तान्क्जई ने कहा कि “जब अमेरिका के साथ सैनिको की वापसी के समझौते पर दस्तखत किये जायेंगे और समयसीमा दी जाएगी और अंतरराष्ट्रीय भागीदार अंतिम समझौते के गवाह होंगे इसके बाद ही हम आंतरिक अफगान वार्ता को आयोजन करेंगे।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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