अफगानिस्तान सुलह प्रकिया के अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद ने कहा कि “अफगानिस्तान की सरजमीं से अमेरिकी सेनाओं की वापसी तभी होगी जब शान्ति समझौता मुकम्मल होगा। हम शान्ति और राजनीतिक समाधान चाहते हैं न कि सेना की वापसी। हम शान्ति की स्थापना करना चाहते हैं जो सेनाओं की वापसी के लिए मैदान तैयार कर सके।”
शनिवार को टोलो न्यूज़ से ख़लीलज़ाद ने कहा कि “यह सच नहीं है कि अफगानिस्तान से विदेशी सेना शान्ति समझौते से पहले ही हट जायेंगे। अमेरिका शान्ति अभियान को जिम्मेदारी से खत्म करना चाहती है। हमने सैनिको की बुरे वक़्त में वापसी के बाबत यूएसएसआर के अनुभवों से सीखा है। हम इसे दोबारा दोहराना नहीं चाहते हैं। अफगानिस्तान में अमेरिकी की उपस्थिति तक चार चीजों का होना जरुरी है।”
तालिबान के मौसमी आक्रमण के ऐलान को जलमय ख़लीलज़ाद ने एक गलती बताया है। अफगानिस्तान में जन्मे अमेरिकी राजदूत ने कहा कि “18 वर्षों के समय में मैं पहली बार कहना चाहता हूँ कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने तालिबान के इस कृत्य की आलोचना की है, जो इससे पूर्व कभी नहीं हुआ है। साथ ही यह अफगानिस्तान में हमारे प्रयासों का सकारात्मक परिणाम है।”
तालिबान के साथ छठी दफा की बातचीत के लिए ख़लीलज़ाद काबुल में हैं। मध्य मार्च में दोहा में बातचीत के दौरान अमेरिका और तालिबान आतंकवाद से लड़ने और अफगान सरजमीं से सैनिको की वापसी के प्रस्ताव पर रज़ामंदी जाहिर की थी।
हाल ही में तालिबान ने स्प्रिंग आक्रमण अभियान की शुरुआत की थी। तालिबान ने फ़तेह अभियान की शुरआत की थी जो पूरे अफगानिस्तान में संचालित किया जायेगा जिसका मकसद आधिपत्य को जड़ से खत्म करना और मुस्लिम राष्ट्र में भ्रष्टाचार व आक्रमण का सफाया करना है।