अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान से अपनी आधी सेना को वापस बुलाने के निर्णय पर बातचीत कर रहा है। इस पर भारत का कोई अधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। अमेरिकी सैनिकों की संभावित वापसी के लिए भारत लम्बे समय से तैयार था और इसका समयसीमा व प्रकृति जानना चाहता था।
कोई अधिकारिक घोषणा नहीं
अमेरिका के इस निर्णय पर अभी तक भारत की कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन, नई दिल्ली से सम्बंधित जानकारों के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान से सनिकों की वापसी की बातचीत की थी, हालांकि सीरियन सैनिकों की वापसी की तरह अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के बाबत कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
जानकारों के मुताबिक भारत यह देखना चाहेगा की अमेरिका कौन से सैनिकों को वापस बुलाता है, जो आतंकवादी विरोधी अभियान में शामिल है या जो अफगानिस्तान के सैनिकों के सलाहकार हैं। साथ ही भारत समय सीमा भी देखेगा। अमेरिका के सैनिक अफगानिस्तान में चुनावों से पूर्व वापस चले जायेंगे या चुनाव के बाद।
अफगानिस्तान में आगामी चुनाव
अमेरिक सैनिकों की वापसी अफगानिस्तान के चुनाव की प्रकृति की निर्धारित करेगी, ताकि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र हो, यह चुनावों के परिणाम और वैधता को निर्धारित कर सकता है। भारत के लिए दो कारक अत्यधिक महत्वपूर्व होंगे, क्या अमेरिकी सैनिकों की वापसी बेहद परिणामी साबितहोगी या उसे नियंत्रित किया जा सकता है।
अफगानिस्तान में 17 सालों के संघर्ष के अंत के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने 14000 सैनिकों में से 7000 सैनिकों की वापसी का निर्णय लिया था। अलबत्ता इसका कोई अधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। नई दिल्ली से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प की तरफ से इस मसले पर कोई भी ट्वीट नहीं किया गया है और न ही सैनिको की वापसी की समयसीमा और प्रकृति के बाबत कोई जानकारी दी गयी है।
डोनाल्ड ट्रम्प अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के लिए उत्सुक है। हालांकि यह अफगानिस्तान में शांति वार्ता से जुड़ा है या सुधार से, इसका विवरण नहीं दिया गया है। अफगानिस्तान में जर्मनी और ब्रिटेन के सैनिक भी विशाल संख्या में मौजूद हैं, उनसे भी परामर्श नहीं किया गया है।
अफगानिस्तान के मसले पर भारतीय जानकार ने बताया कि अफगानिस्तान में हमारे चार वाणिज्य दूतावास और एक एक दूतावास स्थित है, साथ ही अफगानिस्तान में कई विकास परियोजनाएं भी जारी है।