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    अमेरिका और चीन के मध्य एक दूसरे के देश से आयातित सामानों पर अतिरिक्त शुल्क से लगाने का खेल अभी भी जारी है। हालांकि एशिया पैसिफिक इकॉनोमिक कोऑपरेशन (अपेक) में अमेरिका और चीन के मध्य युद्ध स्तर को कम करने की चाह नज़र आई थी। पापुआ न्यू गुइनेअ में आयोजित इस सम्मलेन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि टैरिफ लगाने और सप्लाई चैन को तोड़ने कम दृष्टिता और असफलता का नतीजा है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संघ मज़बूत होना चाहिए और अपनी परियोजना बेल्ट एंड रोड का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी राष्ट्र को कर्ज में फंसाने का जाल नहीं है।

    अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने कहा कि चीन से कर्ज लेने से अच्छा तो अमेरिका का प्रस्ताव है, क्षेत्रीय राष्ट्रों के आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने राष्ट्रों को चीनी कर्ज लेने के लिए आगाह करते हुए कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि उनका साझेदाए कर्जा के दलदल में दब जाए।

    ख़बरों के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग आगामी जी-20 के सम्मेलन में मुलाकात करेंगे। डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि अमरीकी व्यापार मांगों का चीनी जवाब पूर्ण हैं लेकिन उसमे पांच बड़ी खामियां हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने अभी तक चीनी उत्पादों पर 250 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। इसके प्रतिकार में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 110 बिलियन डॉलर का शुल्क लगाया है।

    अपेक की बैठक के दौरान माइक पेन्स ने चेतावनी दी कि अमेरिका अभी चीनी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगा सकता है। उन्होंने कहा कि हम बेहतर चाहते हैं लेकिन जब तक चीन का व्यवहार नहीं बदलेगा तब तक अमेरिका की भी बदलने की गुंजाईश नहीं है।

    उन्होंने कहा कि अमेरिका मज़बूत स्थिति में है, अमेरिकी जनता जानती है कि चीन के साथ आर्थिक संबंधों को दोबारा मुक्कमल करने के लिए अमेरिका को कदम उठाने होंगे। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने मिलकर एशिया पैच्फिक में चीन की गतिविधियों को रोकने के लिए क्वैड यानी चार राष्ट्रों के समूह का निर्माण किया था।

    अमेरिका के समर्थक ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने माइक पेन्स के बयानों को स्वीकार किया और साथ ही बढ़ते व्यापार युद्ध को लेकर चिंता जाहिर की थी। पिछले साल डोनाल्ड ट्रम्प ने बहुपक्षीय व्यापार समझौते को तोड़कर द्विपक्षीय व्यपार रणनीति को अपनाया था।

    माइक पेन्स ने कहा कि जी-20 के सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात के बाद चीन को समझना होगा कि उन्हें अपना बाज़ार को खोलना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को भरोसा है कि यह समझौता संभव है और वह अमेरिका की जनता की इच्छा के मुताबिक मुक्त, निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार संबंधों के लिए निरंतर प्रयास करते रहेंगे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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