यूरोपीय संसद के सदस्य ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से कश्मीर में सक्रीय आतंकी संगठनो को जड़ से उखाड़ने में मदद मिलेगी। यूरोपीय संसद के मासिक्ल अखबार ईपी में प्रकशित आर्टिकल के तहत एमईपी तोमस ज्देचोव्स्क्य ने कहा कि ऐसे आतंकवादी समूह कश्मीर घाटी और पाक अधिकृत कश्मीर में हिंसा को बढ़ा रहे हैं।
इन हथियार बंद समूहों का मकसद जम्मू कश्मीर में राजनीतिक संगठनो से जुड़े व्यक्तियों को निशाना बनाना है, इसमें छह राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और एक अलगाववादी नेता भी शामिल है। अक्टूबर 2018 के चुनावो में इन हथियारबंद समूहों ने कश्मीरियों को डराया था जों चुनावो में शामिल होगा उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। साथ ही सभी उम्मीद वारो से अपने नामो को वापस लेने के लिए धमकी दी थी और साथ ही इस नामांकन के लिए सार्वजानिक तौर पर माफ़ी की मांग की थी।
तोमस ने कहा कि हथियारबंद समूहों ने पिछले चुनावो में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को धमकाया था और साल 2018 में हमले अब तक सबसे ज्यादा थे। पाकिस्तानी आतंकवादी समूह कश्मीर में सक्रीय है और पीओके में राष्ट्रवादियो और आज़ादी समर्थक कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करते हैं।
इस लेख के मुताबिक, भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन करने का आरोप लगाया था पाक विदेश मन्त्री ने खुद पुष्टि की थी कि मसूद अज़हर पाकिस्तान में मौजूद है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1990 में दर्ज़नो हथियारबंद समूह कश्मीर में सक्रीय थे। इसमें दो आतंकवादी समूहों पर कश्मीर में बच्चो को सैनिक के तौर पर नियुक्त करने का आरोप है।
उन्होंने कहा कि “इस अनुच्छेद के हटने को आतंकी गतिविधियों के खिलाफ वैश्विक समर्थन है। आतंकवादी लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आज़ादी और मानव अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। पीएम मोदी को इस आर्टिकल को अचानक हटाने की चुनौतियों के बारे में मालूम है। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में यह वादा किया था कि जीतने के बाद वह जम्मू कश्मीर की स्थिति को सुधारेंगे।”
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने संसद में बेहद नाटकीय भाषण दिया था जिसमे भारत में मजीद आतंकवादी गतिविधियों को आमंत्रण दिया गया था। उन्होंने कहा कि “पुलवामा जैसी वारदात दोबारा होगी। मैं पहले से ही भविष्यवाणी कर सकता हूँ कि ऐसा होगा।”
पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जावेद कमर बाजवा ने कहा कि “कश्मीर के संरक्षण के लिए पाकिस्तानी सेना किसी भी हद तक जाएगी। अन्य 28 राज्यों की तरह भारत सोचता है कि जम्मू कश्मीर में बगैर किसी दखल के चुनावो को संपन्न कर सकता है, आतंकवाद के खिलाफ लड़ सकता है और न सिर्फ भारत की जनता को बल्कि समस्त दक्षिण एशिया में स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है।”