भारत के पूर्व कप्तान और भारत ए और अंडर -19 टीमों के मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ जो हाल में बीसीसीआई के साथ एक बैठके में नजर आए थे। रिपोर्ट के मुताबकि यह पता लगा कि राहुल द्रविड़ ने बीसीसीआई से यहा युवा खिलाड़ियो के साथ भविष्य में आ रही परेशानियो को लेकर बात की। माना जा रहा है कि द्रविड़ ने सॉफ्ट-स्किल्स ट्रेनिंग, दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और क्रिकेट से आगे के जीवन के लिए क्रिकेटरों को तैयार करने पर जोर दिया।
यह तथ्य है कि, इससे पहले साल 2009 में भी भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व कोच अनिल कुंबले नें भी इस बात पर अपना सुझाव दिया था। उस दौरान कुंबले ने क्रिकेट से बाहर कई तरह के मुद्दो पर शिक्षित होने के लिए खिलाड़ियो की आवश्यकता पर एक विस्तृत प्रस्तुति के साथ बीसीसीआई से संपर्क किया था। कुंबले ने कहा था कि खिलाड़ियो को अपने भविष्य में क्रिकेट के चलते परेशानिया आ सकती है, इसलिए क्रिकेट के अलावा भी उनके लिए और कुछ भी सोचना चाहिए।
कुंबले, यह मज़बूती से सीखाना चाहते थे जिसके बाद उन्होने 2009 के बाद इस पर बीसीसआई से दो बार बात करना चाही, उन्होने ना केवल प्रमुख अधिकारियो के सामने प्रस्तुति दी, बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर के सामने भी प्रसतुति रखी लेकिन यह उन तक सीमित नही थी, जिससे कोई बात आगे नही बढ़ पायी।
प्रस्तुति में क्या था?
कुंबले की प्रस्तुति में कहा गया कि क्रिकेट की उत्कृष्टता खिलाड़ियों का ध्यान शिक्षा पर अपना ध्यान कम करने के लिए कैसे मजबूर करती है, और यह एक गंभीर समस्या कैसे हो सकती है क्योंकि युवा खिलाड़ियों का एक छोटा सा हिस्सा वास्तव में खेल में खुद के लिए जीवन बनाने के लिए जाता है।
यह एक कदम आगे निकल गया, ऐसे क्रिकेटरों के माता-पिता की चिंता का पता लगाने के लिए, जिन्हें कम उम्र में खेल और अन्य अवसरों के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
ऐसा ही कुछ गुरूवार को बीसीसीआई के साथ बैठक में राहुल द्रविड़ ने भी अपना सुझाव दिया है और युवा क्रिकेटरो के बेहतर कल के लिए बीसीसीआई से मांग की है कि उन्हे क्रिकेट के अलावा और क्षेत्रो में भी काम दिया जाए।